________________ - दसवेयालियसुत्तं अ. 6 उ. 1 1071 जोगयं च, सज्झायजोगं च सया अहिट्ठए / सूरे व सेणाइ समत्तमाउहे, अलमप्पणो होइ अलं परेसिं // 62 // सज्झायसज्झाणरयस्स ताइणो, अपावभावस्स तवे रयस्स / विसुज्झई जं सि मलं पुरेकडं, समीरियं रुप्पमलं व जोइणा // 63 // से तारिसे दुक्खसहे जिइंदिए, सुएण जुत्ते अममे अकिंचणे / विरायई कम्मघणग्मि अवगए, कसिणब्भपुडावगमे व चंदिमे ॥६४॥त्ति-बेमि / / इति आयारपणिही णामं अट्ठममज्झयणं समत्तं // 8 // अह विणयसमाही णामं णवममज्झयणं-पढमो उद्देसो थंभा व कोहाव मयप्पमाया, गुरुस्सगासे विणयं ण सिवखे / सो चेव उ तस्स अभूइभावो, पलं व कीयस्स वहाय होइ ॥१॥जे यावि मंदित्ति गुरुं विइत्ता, डहरे इमे अप्पसुए त्ति णच्चा। हीलंति मिच्छं पडिवजमाणा, करंति आसायणं ते गुरूणं // 2 // पगईए मंदा वि भवंति एगे, डहरा वि य जे सुयबुद्धोववेया। आयारमंता गुणसुट्ठियप्पा, जे हीलिया सि हिरिव भास कुजा // 3 // जे यावि गागं डहरं ति णच्चा, आसायए से अहियाय होइ / एवायरियं पि हु हीलयंतो, णियच्छई जाइपहं खु मंदो // 4 // आसीविसो वावि परं सुरुट्ठो, किं जीवणासाउ परं णु कुजा / आयरियपाया पुण अप्पसण्णा, अबोहिआसायण णस्थि मुक्खो // 5 // जो पावगं जलियमवकमिजा, आसीविसं वावि हु कोवइजा। जो वा विसं खायइ जीवियट्ठी, एसोवमाऽऽसायणया गुरूणं // 6 // सिवा हु से पावय जो डहि जा, आसी. विसो वा कुविओ ण भक्खे / सिया विसं हालहलं ण मारे, ण यावि मुक्खो गुरुहीलणाए // 7 // जो पव्वयं सिरसा मित्तुमिच्छे, सुत्तं व सीहं पडिबोहइजा / जो वा दए सत्तिअग्गे पहारं, एसोबमाऽऽसायणया गुरूणं // 8 // सिया हु सीसेण गिरि पि भिंदे, सिया हु सीहो कुविओ ण भक्खे / सिया ण भिंदिज व सत्तिअग्गं, ण यावि मुक्खो गुरुहीलणाए / / 9 // आयरियपाया पुण अप्पसण्णा, अबोहि आसायण स्थि मुक्खो / तम्हा अणावाहसुहाभिकंखी, गुरुप्पसायाभिमुहो रमिजा // 10 // जहाहिअग्गी जलणं णमंसे, णाणाहुईमंतपयाभिसित्तं / एवायरियं उवचिट्ठइजा, अणंतणाणोवगओ वि संतो॥११॥ जस्संतिए धम्मपयाई सिक्खे, तस्संतिए वेणइयं पउंजे। सक्कारए सिरसा पंजलीओ, कायग्गिरा भो मणसा य णिच्चं // 12 // लज्जादयासंजमवंभचेरं, कल्लाणभागिस्स विसोहिठाणं / जे मे गुरू सययमणुसासयंति, ते हं गुरू