________________ - दसवेयालियसुत्तं अ. 6 1063 भे आयारगोयरो 1 // 2 // तेसिं सो णिहुओ दंतो, सव्वभूयसुहावहो। सिक्खाए . सुसमाउत्तो, आयक्खह वियरखणो // 3 // हंदि धम्मत्थकामाणं, णिग्गंथाणं सुणेह मे / आयारगोयरं भीम, सयलं दुरहि ट्ठियं // 4 // णण्णत्थ एरिसं वुत्तं, जं लोए परमदुच्चरं / विउलट्ठाणभाइस्स, ण भूयं ण भविस्सई // 5 // सखुड्डगवियत्ताणं, वाहियाणं च जे गुणा। अखंडफुडिया कायव्वा, तं सुणेह जहा तहा // 6 // दस अट्ठ य ठाणाई बालोऽवरज्झइ। तत्थ अण्णयरे ठाणे, णिग्गंयत्ताओ भस्सइ // 7 // वयछक्कं कायछक्कं अकैप्पो गिहिौयणं / पलियंक णिसिज्जा य, सिगाँणं सोहर्वजणं // 8 // (1) तत्थिमं पढमं ठाणं, महावीरेण देसियं / अहिसा णिउणा दिट्ठा, सव्वभूएसु संजमो // 9 // जावंति लोए पाणा, तसा अदुव थावरा। ते जाणमजाणं बा, ण हणे णो वि घायए // 10 // सव्वे जीवा वि इच्छंति, जीविडं ण मरिजिउं। तम्हा पाणिवहं घोरं, णिग्गंथा वजयंति णं // 11 // (2) अप्पणट्ठा परट्ठा वा,कोहा वा जइ वा भया / हिंसगं ण मुसं बूया, णो वि अण्णं वयावए // 12 // मुसावाओ य लोगंमि, सव्वसाहूहिं गरिहिओ / अविस्सासो य भूयाणं, तम्हा मोसं विवजए // 13 // (3) चित्तमंतमचित्तं वा, अप्पं वा जइ वा बहुं / दंतसोहणमित्तं पि, उग्गहंसि अजाइया // 14 // तं अप्पणा ण गिण्हंति, णो वि गिण्हावए परं / अण्णं वा गिण्हमाणं पि, णाणुजाणंति संजया // 15 / / (4) अबंभचरियं घोरं, पमायं दुरहिट्टियं / णायरंति मुणी लोए, भेयाययणवज्जिणो // 16 // मूलमेयमहम्मस्स, महादोससमुस्सयं / तम्हा मेहुणसंसग्गं, णिग्गंथा वजयंति गं // 17 // (5) बिडमुन्भेइमं लोणं, तिल्लं सप्पिं च फाणियं / ण ते सण्णिहिमिच्छंति, णायपुत्तवओरया // 18 // लोहस्सेस्स अणुप्फासे, मण्णे अण्णय. रामवि / जे सिया सण्णिहीकामे, गिही पव्वइए ण से // 19 // ज पि वत्थ व पायं वा, कंबलं पायपुंछणं / तं पि संजमलमट्ठा, धारंति परिहरंति य // 20 ॥ण सो परिग्गहो वुत्तो, णायपुत्तेण ताइणा / "मुच्छा परिग्गहो वुत्तो", इइ वृत्त महे सिणा // 21 // सव्वत्थुवहिणा बुद्धा, संरक्षणपरिग्गहे / अवि अप्पणो वि देहं मि, णायरंति ममाइयं // 22 // (6) अहो णिच्चं तवोफरमं, सव्यबुद्धेहिं वणियं / जा य लज्जासमा वित्ती, एगभत्तं च भोयणं // 23 // संतिमे सुहमा पाणा, तसा अदुव थावरा / जाइं राओ अपासंत, कहमेसणियं चरे 1 // 24 // उदउल्लं बीयसंसत्तं, पाणा णिवडिया महिं / दिया ताई विवज्जिज्जा, राओ तत्थ कहं चरे 1 // 25 // एयं च दोसं दट्टैणं णायपुत्तेण भासियं / सव्वाहारं न भुंनंति, णिग्गंथा राइभोयणं