________________ 1062 अनंगपविट्ठसुत्ताणि. सामण्णमणुचिट्ठइ // 30 // सिया एगइओ लथु, लोभेण विणिगृहइ / “मामेयं दाइयं संतं, दट्ठणं सयमायए" // 31 // अत्तट्ठा गुरुओ लुद्धो, बहुं पावं पकुव्वइ / दुत्तोसओ य से होइ, णिव्वाणं च ण गच्छइ // 32 // सिया एगइओ लडु, विविहं. पाणभोयणं / भद्दगं भद्दगं भोच्चा, विवण्णं विरसमाहरे // 33 // जाणंतु ता इमे समणा, “आययट्ठी अयं मुणी / संतुट्ठो सेवए पंतं, लूहवित्ती सुतोसओ” // 34 // पूयणट्ठी जसोकामी, माणसंमाणकामए / बहुं पसवई पावं; मायासरलं च कुव्वइ // 35 // सुरं वा मेरगं वावि, अण्णं वा मजगं रसं / ससक्खं ण पिबे भिक्खू, जसं सारक्खमप्पणो / / 36 // पियए एगओ तेणो, “ण मे कोई वियाणइ” / तस्स पस्सह दोसाइं, णियाडिं च सुणेह मे // 37 // वड्डइ सुंडिया तस्स, मायामोसं च भिक्खुणो। अयसो य अणिव्वाणं, सययं च असाहुया / / 38 / णिच्चुट्विग्गो जहा तेणो, अत्तकम्महिं दुम्मई / तारिसो मरणंते वि, णाराहेइ संवरं // 39 / / आयरिए णाराहेइ, समणे यावि तारिसो / निहत्था वि णं गरिहंति, जेण नाणंति तारिसं // 40 // एवं तु अगुणप्पेही, गुणाणं च विवजए / तारिसो मरणंते वि, णाराहेइ संवरं // 41 // तवं कुम्वइ मेहावी, पणीयं वजए रसं / मजप्पमायविरओ, तबस्सी अइ उक्कसो / / 42 / / तस्स पस्सह कल्लाणं, अणेगसाहुपूइयं / विउलं अत्थसंजुत्तं, कित्तइस्सं सुणेह मे // 43 / / एवं तु गुणप्पेही, अगुणाणं च विवजए। तारिसो मरणंते वि, आराहेइ संवरं // 44 // आयरिए आराहेइ, समणे यावि तारिसो। गिहत्था वि णं पूयंति, जेण जाणंति तारिसं // 45 // तवतेणे वयतेणे, रूवतेणे य जे गरे / आयारभावतेणे य, कुवह देवकिविसं // 46 // लक्ष्ण वि देवत्तं, उववण्णो देवकिव्विसे / तत्थावि से ण याणाइ, "किं मे किच्चा इमं फलं?" // 47 // तत्तो वि से चइत्ताणं, लब्भइ एलभूयगं / णरगं तिरिक्खजोणि वा, बोही जत्थ सुदुल्लहा // 48 // एयं च दोसं दट्ठणं, णायपुत्तेण भासियं / अणुमायं पि मेहावी, मायामोसं विवजए // 49 // सिक्खिऊण भिक्खेसणसोहिं, संजयाण बुद्धाण सगासे / तत्थ भिक्खू सुप्पणिहिदिए, तिब्बलजगुणवं विहरिजासि // 50 // त्ति-बेमि // इति पिंडेसणाए बीओ उद्देसो समत्तो॥५-२॥ इति पिंडेसणा णामं पंचममज्झयणं समत्तं // 5 // अह महल्लियायारकहा णामं छ?मज्झयणं णाणदंसणसंपण्णं, संजमे य तवे रयं / गणिमागमसंपण्णं, उजाणम्मि समोसढं // 1 // रायागो रायमच्चा य, माहणा अदुव खत्तिया / पुच्छंति णिहुंयप्पाणो, कहं