________________ 1060 अनंगपविट्ठसुत्ताणि एण ण छड्डए / हत्येण तं गहेऊण, एगंतमवक्कमे // 85 // एगंतमवक्कमित्ता, अचित्तं पडिलेहिया / जयं परिढविजा, परिठ्ठप्प पडिक्कमे // 86 // सिया य भिव खू इच्छिजा, सिजमागम्म भुत्तुयं / सपिंडपायमागम्म, उंडुयं पडिलेहिया // 87 // विणए णा. पविसित्ता, सगासे गुरुणो मुणी / इरियावहियमायाय, आगओ य पडिक्कमे ||88 // आभोइत्ताण णीसेसं, अइयारं जहकमं / गमणागमणे चेव, भत्तपाणे व संजए // 89 // उज्जुप्पण्णो अणुव्विग्गो, अव्वक्खित्तेण चेयसा / आलोए गुरुसगासे, जं नहा गहियं भवे // 90 // ण सम्ममालोइयं हुजा, पुट्विं पच्छा व जं कडं / पुणो पडिक्कमे तस्स, वोसट्ठो चिंतए इमं // 91 // अहो जिणेहिऽसावजा, वित्ती साहूण देसिया / मुक्खसाहणहे उस्स, साहुदेहस्स धारणा // 92 // णमुक्कारेण पारित्ता, करित्ता जिणसंथवं / सज्झायं पट्टवित्ताणं, वीसमेज खणं मुणी // 93 // वीसमंतो इमं चिंते, हियमटुं लाभमट्टिओ / जइ मे अणुग्गहं कुजा, साहू हुजामि तारिओ // 94 // साहवो तो चियत्तेणं, णिमंतिज जहक्कम / जइ तत्थ केइ इच्छिज्जा, तेहिं सद्धिं तु भुंजए // 95 // अह कोइ ण इच्छिज्जा, तओ भुजिज एगओ / आलोए भायणे साहू, जयं अपरिसाडियं // 96 // तित्तगं व कडुयं व कसायं, अंबिलं व महुरं लवणं वा / एयलद्धमण्णट्ठपउत्तं, महुघयं व अँजिज संजए // 97 // अरसं विरसं वावि, सूइयं वा असूइयं / उल्लं वा जइ वा सुक्कं, मंथुकुम्मासभोयणं // 98 // उप्पणं णाइहीलिजा, अप्पं वा बहु फासुयं / मुहालद्धं मुहाजीवी, भुजिजा दोसवज्जियं // 99 // दुल्लहा उ मुहादाई, मुहाजीवी वि दुल्लहा / मुहादाई मुहाजीवी, दो वि गच्छंति सुग्गई // 100 // त्ति बेमि // इति पिंडेसणाए पढमो उद्देसो समत्तो॥५-१॥ . अह पिंडेसणाए बीओ उद्देसो . ___ पडिग्गइं संलिहित्ताणं, लेवमायाए संजए / दुगंधं वा सुगंधं वा, सव्वं भुंजे ण छड्डए // 1 // सेजा णिसीहियाए, समावण्णो य गोयरे / अयावयट्ठा भुच्चाणं, जह तेणं ण संथरे // 2 // तओ कारणमुप्पण्णे, भत्तपाणं गवेसए / विहिणा पुव्वउत्तणं इमेणं उत्तरेण य // 3 // कालेण णिक्खमे भिक्खू , कालेण य पडिक्कमे / अकालं च विवज्जित्ता, काले कालं समायरे // 4 // "अकाले चरसि भिक्खू , कालं ण पडिलेहसि / अप्पाणं च किलामेसि, सण्णिवेसं च गरिहसि" ||5|| सइ काले चरे भिक्खू , कुजा पुरिसकारियं / “अलाभो" त्ति ण सोइजा, "तवो" त्ति अहियासए