________________ दसासुयक्खंधो द. 8 1033 हाणीए वा ईसिं दोवि पाए साहट वग्धारियपाणिस्स ठाणं ठाइत्तए, सेसं तं चेव जाव अणुपालित्ता भवइ // 1 // 30 // एगराइयं णं भिक्खुपडिम पडिवण्णस्स अणगारस्स णिचं वोसट्टकाए णं जाव अहियासेइ, कप्पइ से [f] अट्ठमेणं भत्तेणं अपाणएणं बहिया गामस्स वा जाव रायहाणीए वा ईसिं पब्भारग,एणं काएणं एगपोग्गल[टिती]गयाए दिट्ठीए अणिमिसणयणे अहापणिहिएहिं गाएहिं सविंदिए हिं गुत्तेहिं दावि पाए साहट्ट वग्धारियपाणिम्स टाणं टाइत्तए, तत्थ से दिव्या माणुस्सा तिरिक्खजोणिया जाव अहियासेइ, से णं तत्थ उच्चारपासवणं उब्बाहिज्जा णो से कप्पइ उच्चारपासवणं उगिण्हित्तए, कप्पद से पुव्वपडिलेहियंसि थंडिलंसि उच्चारपासवणं परिट्ठवित्तए, अहाविहिमेव ठाणं टाइत्तए // 31 // एगराइयं णं भिक्खुपडिमं अगणुपालेमाणस्स अणगारस्स इमे तओ ठाणा अहियाए असुभाए अक्खमाए अणिस्सेसाए अणाणुगामियत्ताए भवंति, तंजहा-उम्मायं वा लभेजा, दीहकालियं वा रोगायक पाउणेजा, केवलिपण्णताओ धम्माओ भंसेज्जा // 32 // एगराइयं णं भिक्खुपडिमं सम्मं अणुपालेमाणस्स अणगारस्स इमे तओ ठाणा हियाए सुहाए खमाए णिस्सेसाए अणुगामियत्ताए भवंति, तंजहा-ओहिणाणे वा से समुप्यज्जेजा, मणपजवणाणे वा से समुप्पज्जेज्जा, केवलणाणे वा से असमुप्पण्णपुत्वं समुप्पज्जेजा, एवं खलु एसा एगराइया भिक्खुपडिमा अहासुतं अहाकप्पं अहामग्गं अहातच्चं अहासम्मं कारण फासित्ता पालित्ता सोहित्ता तीरित्ता किट्टित्ता आराहित्ता आणाए अणुपालित्ता [यावि भवइ / / 33 / / एयाओ खलु ताओ थेरेहिं भगवंतेहि बारस भिक्खुपडिमाओ पण्णत्ताओ // 34 // त्ति-बेमि // इति भिक्खुपडिमा णामं सत्तमा दसा संमत्ता // 7 // अट्रमा दसा ... तेणं कालेणं तेणं समएणं समणे भगवं महावीरे पंचहत्थुत्तरे यावि होत्था, तंजहा-हत्थुत्तराहिं चुए चइत्ता गम्भं वक्कंते 1 हत्थुत्तराहिं गब्भाओ गब्भ साहरिए 2 हत्युत्तराहिं जाए 3 हत्थुत्तराहिं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइए 4 हत्थुत्तराहिं अणंते अणुत्तरे णिव्वाघाए णिरावरणे कसिणे पडिपुण्णे केवलवरणाणदंसणे समुप्पण्णे 5 साइणा परिणिन्बुए भगवं जाव भुज्जो 2 उवदंसेइ // 1 // त्ति-बेमि // इति पज्जोस(णं)णा णामं अट्ठमा दसा समत्ता॥८॥