________________ 878 अनंगपविट्ठसुत्तानि धोवइ, कक्खंतराइं धोवइ, गुज्झंतराई धोवइ, जत्थ जत्थ वि य णं ठाणं वा सेज्ज वा णिसीहियं वा चेएइ, तत्थ तत्थ वि य णं पुवामेव पाणएणं अब्भुक्खेइ, तओ पच्छा ठाणं वा सेज्जं वा णिसीहियं बा चेऐइ // 157 // तए ण ताओ पुष्फचूलाओ अजाओ भूयं अन्जं एवं वयासी-अम्हे णं देवाणुप्पिए ! समणीओ णिग्गंथीओ इरियासमियाओ आव गुत्सबम्भयारिणीओ, णो खलु कप्पइ अम्हं सरीरबाओसियाणं होत्तए, तुमं च ण देवाणुप्पिए ! सरीरबाओसिया अभिक्खणं 2 हत्थे धोवसि जाव णिसीहियं चेएसि, तं गं तुमं देवाणुप्पिए ! एयस्स ठाणस्स आलोएहित्ति,सेसं अहा सुभदाए जाव पाडिएक्कं उघस्सयं उसपज्जित्ताणं विहरइ / तए णं सा भूया अजा अणोहट्टिया अणिवारिया सच्छंदमई अभिवखणं 2 हत्थे धोवइ जाव चेएइ // 158 // तए णं सा भूया अज्जा बहूहिँ चउत्थछट्ट० बहूई वासाई सामण्णपरियागं पाउणित्ता तस्स ठाणस्स अणालोहयपडिव कंता कालमासे कालं किच्चा सोहम्मे कप्पे सिरिवडिसए विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्जंसि जाव ओगाहणाए सिरिदेवित्ताए उववण्णा पंचविहाए पजत्तीए नाय भासामणपजत्तीए पजत्ता / एवं खलु गोयमा ! सिरीए देवीए एसा दिव्वा देविड्डी लद्धा पत्ता / एगं पलिओवमं ठिई। सिरी णं भंते ! देवी जाव कहिं गच्छिहिइ०१ महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ / णिक्खेवओ // 159 // पढमं अज्झयणं समत्तं // 4 // 1 // एवं सेसाणविणवण्हं भाणियत्वं / सरिसणामा विमाणा। सोहम्मे कप्पे / पुब्वभवे णयर चेइए-पियमाईणं अप्पणो य णामाई जहा संगहणीए / सव्वा पासस्स अंतिए णिक्खता / ताओ पुष्फचूलाणं सिस्सिणियाओ सरीरबाओसियाओ सव्वाओ अणंतरं चयं चइत्ता महाविदेहे वासे सिज्झिहिति // 160 // 4 // 10 // पुप्फच. (ला)लियाओ समत्ताओ॥चउत्यो वग्गी समत्तो // 4 //