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________________ पुल्फियाओ अ०६-१० 875 पुण्णभद्दे विमाणे उववायसभाए देवसयणिज्नंसि जाव भासामणपजत्तीए // 142 // . एवं खलु गोयमा ! पुण्णभद्देणं देवेणं सा दिव्वा देविट्ठी नाब अभिसमण्णागया। पुण्णभद्दस्स णं भंते ! देवस्स केवइयं कालं ठिई पण्णत्ता 1 गोयमा ! दो सागरोवमाई ठिई पगत्ता / पुण्णभद्दे गं भंते ! देवे ताओ देवलोयाओ जाब कहिँ गच्छिहिइ कहिं उववज्जिहिइ ? गोयमा ! महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ जाव अंतं काहिइ / णिक्खेवओ // 143 // पंचमं अज्झायणं समत्तं // 3 // 5 // छठें अज्झयणं जइ णं भंते ! समणेण० उक्लेवओ / एवं खलु जंबू ! तेणं कालेणं तेणं समएणं रायगिहे णयरे / गुणसिलए चेहएं / सेणिए राया। सामी समोसरिए // 144 / / सेणं कालेणं तेणं समएणं माणिभद्दे देवे सभाए सुहम्माए माणिभदंसि सीहासणंसि चउहि सामाणियसाहस्सीहिं जहा पुण्णभद्दो तहेव आगमणं, णट्टविही, पुब्बभवपुच्छा / मणिवई पयरी, माणिभद्दे गाहावई, थेराणं अंतिए पवजा, एकारस अंगाई अहिजइ, बहूई वासाई परियाओ, मासिया संलेहणा, सढि भत्ताई०, माणिभद्दे विमाणे उववाओ, दो सागरोचमाई ठिई, महाविदेहे वासे सिज्झिहिइ / णिक्खेवओ // 145 / / छठें अज्झयणं समत्तं // 3 // 6 // ____एवं दत्ते 7, सिवे 8, बले 9, अणाढिए 10, सव्वे जहा पुण्णभद्दे देवे / सव्वेसि दो सागरोवमाइं ठिई / विमाणा देवसरिसणामा। पुव्वभवे दत्ते चंदणा. णामाए, सिवे मिहिलाए, बले हत्थिणपुरे णयरे, अणाढिए काकंदीए / चेइयाई जहा संगहणीए // 146 // 3 // 10 // पुफियाओ समत्ताओ।। तइओ वग्गो समत्तो // 3 //
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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