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________________ पुल्फियाओ अ. 4 866 // 119 // तए पं से भद्दे सत्थवाहे विउलं असणं 4 उवक्खडावेइ० मित्तणाइ जाव णिमंतइ"तओ पच्छा भोयगवेलाए जाव मित्तणाइ"सक्कारेइ संमाणेइ, सुभदं सत्यवाहि व्हायं जाव पायच्छित्तं सव्वालंकारविभूसियं पुरिससहस्सवाहिणि सीयं दुरूहेइ / तओ सा सुमद्दा सत्थवाही मित्तणाइ जाव संबंधिसंपरिवुडा सविट्टीए जाव रवेणं वाणारसीणयरीए मज्झमज्झेणं जेणेव सुव्वयाणं अजाणं उवस्सए तेणेव उवागच्छइ २त्ता पुरिससहस्सवाहिणिं सीयं ठवेइ, सुभदं सत्थवाहि सीयाओ पच्चोरुहेइ // 120 // तए णं भद्दे सत्थवाहे सुभदं सत्थवाहिं पुरओ काउं जेणेव सुब्बया अजा तेणेव उवागच्छइ २त्ता सुव्वयाओ भजाओ वंदइ णमंसइ वं० 2 त्ता एवं वयासी-एवं खलु देवाणुप्पिया ! सुभद्दा सत्थवाही मम भारिया इट्ठा कंता जाव मा णं वाइया पित्तिया सिम्भिया संणिवाइया विविहा रोगायंका फुसंतु, एस णं देवाणुप्पिया ! संसारभउंव्विग्गा. भीया जम्म(ण)मरणाणं देवाणुप्पियाणं अंतिए मुण्डा भवित्ता जाव पव्वयाइ, तं एयं अहं देवाणुप्पियाणं सीसिणीभिक्खं दलयामि, पडिच्छंतु णं देवाणुप्पिया ! सी सिणीभिक्खं / अहासुहं देवाणुप्पिया ! मा पडिबंधं करेह // 121 // तए णं सा सुभद्दा सत्यवाही सुव्वयाहिं अजाहिं एवं वुत्ता समाणी हट्ट० सयमेव आभरणमल्लालंकारं ओमुयइ 2 त्ता सयमेव पंचमुट्ठियं लोयं करेइ 2 त्ता जेणेव सुव्वयाओ अजाओ तेणेव उवागच्छइ 2 त्ता सुव्वयाओ अजाओ तिक्खुत्तो आयाहिणपयाहिणेणं वंदइ णमंसइ वं० 2 त्ता एवं वयासी-आलित्ते णं भंते"जहा देवाणंदा तहा पव्वइया जाव अजा जाया जाव गुत्तबम्भयारिणी // 112 // तए णं सा सुभद्दा अजा अण्णया कयाइ बहुजणस्स चेडरूवे समुच्छिया जाव अज्झोपवण्णा अब्भंगणं च उव्वट्टणं च फासुयपाणं च अलत्तगं च कंकणाणि य अंजणं च वण्णगं च चुण्णगं च खेल्लणगाणि य खजल्लगाणि य खीरं च पुप्फाणि य गवेसइ गवेसित्ता बहुजणस्स दारए वा दारिया वा कुमारे यं कुमारियाओ य डिम्भए य डिम्भियाओ य अप्पेगइयाओ अभंगेइ, अप्पेगइयाओ उव्वट्टेइ, एवं फासुयपाणएणं ण्हावेइ, अप्पेगइयाणं पाए रयइ, ओढे रयइ, अच्छीणि अंजेइ, उसुए करेइ, तिलए करेइ, अप्पेगइयाओ दिगिंदलए करेइ, अप्पेगइयाणं पंतियाओ करेइ, अप्पेगइयाई छिजाई करेइ,अप्पेगइया वण्णएणं समालभइ, चुण्णएणं समालभइ, अप्पेगइयाणं खेलणगाइंदलयइ,० खजलगाई दलयइ, अप्पेगइयाओ खीरभोयणं भुंजावेइ, अप्पेगइयाणं पुप्फाई ओमुयइ, अप्पेगइयाओ पाएसु ठवेइ, जंघासु करेइ, एवं जरूसु उच्छंगे कडीए पिट्टे
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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