________________ चंदपण्णत्ती पा. 19 8 26 सोला णक्खचसहस्सा जोयं जोएंसु वा ३,छ महग्गहसहस्सा तिण्णि य बत्तीसा चार चरेंसु वा 3, अडयालीससयसहस्सा बावीसं च सहस्सा दोण्णि य सया तारारणकोडिकोडीणं सोभं सोभिंसु वा 3 / ता समयव खेत्ते णं केवइयं आयामविक्खंभेणं केवइयं परिक्खेवेणं आहिएति वएजा ? ता पणयालीसं जोयणसयसहस्साइं आयामविक्खंभेणं एगा जोयणकोडी बायालीसं च सयसहस्साइं दोण्णि य अउणापण्णे जोयणसए परिक्खेवेणं आहिएति वएजा, ता समयक्खेत्ते णं केवइया चंदा पभासेंसु वा 3 पुच्छा तहेव, ता बत्तीसं चंदसयं पभासेंसु वा 3, बत्तीसं सूरियाण सयं तवइंसु वा 3, तिण्णि सहस्सा उच्च छण्णउया णक्खत्तसया जोयं जोएंसु वा 3, एक्कारस सहस्सा छच्च सोलस महग्गहसया चारं चरिंसु वा 3, अट्ठासीई सयसहस्साई चत्तालीसं च सहस्सा सत्त य सया तारागणकोडिकोडीणं सोभं सोभिंसु वा 3, अद्वेव सयसहस्सा अभितरपुक्खरस्स विक्खंभो / पणयालसयसहस्सा माणुसखेत्तरस धिक्खंभो // 1 / / कोडी बायालीसं सहस्स दुसया य अउणपण्णासा / माणुसखेत्तपरिरओ एमेव य पुक्खरद्धस्स // 2 // बावत्तरिं च चंदा बावत्तरिमेब दिणयरा दित्ता। पुक्खरवरदीवडे चरंति एए पभासेंता॥३॥ तिणि सया छत्तीसा छच्च सहस्सा महग्गहाणं तु / णक्खत्ताणं तु भवे सोलाई दुवे सहस्साइं // 4 // अडयालसयसहस्सा बावीसं खलु भवे सहस्साइं / दो य सय पुक्खरद्धे तारागणकोडिकोडीणं / / 5 / / बत्तीसं चंदसयं / बत्तीसं चेव सूरियाण सयं / सयलं माणुसलोयं चरंति एए पभासेंता // 6 // एक्कारस य सहस्सा छप्पि य सोला महग्गहाणं तु / छच्च सया छण्णउया णक्खत्ता तिणि य सहस्सा // 7 // अट्ठासीइ चत्ताई सयसहस्साई मणुयलोगंमि / सत्त य सया अणूणा तारागणकोडिकोडीणं // 8 // एसो तारापिंडो सव्वसमासेण मणुयलोयंमि / बहिया पुण ताराओ जिणेहिं भणिया असंखेजा // 9 // एवइयं तारग्गं जं भणियं माणुसंमि लोगंमि / चारं कलंबुयापुप्पसंठियं जोइसं चरइ // 10 // रविससिगहणवत्ता एवइया आहिया मणुयलोए / जेसिं णामागोत्तं ण पागया पण्णवेहिति // 11 // छावढि पिडगाइं चंदाइच्चाण मणुयलोयग्मि / दो चंदा दो सूरा य हुंति एक्केक्कए पिडए // 12 // छावढेि पिडगाई णक्खत्ताणं तु मणुयलोयम्मि। छप्पणं णवत्ता हुंति एक्केकर पिडए / / 13 / / छावहिँ पिडगाइं महग्गहाणं तु मणुयलोयंमि / छावतरं गहसयं होइ एक्केकए पिडए // 14 // चत्तारि य पंतीओ चंदाइच्चाण मणुयलोयम्मि / छावहिं 2 च होइ एक्किक्किया पंती // 15 // छप्पण्णं पंतीओ णखत्ताणं तु मणुयलोयंमि / छावहिं 2 हवंति एक्केक्किया पंती // 16 // छावतरं रहाणं