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________________ 830 अनंगपबिट्ठसुत्तामि पंतिसयं हवइ मणुयलोयंमि / छावहिँ 2 हवइ य एक्केक्किया पंती // 17 // से मेरुमणुचरंता पयाहिणावत्तमंडला सव्वे / अणवट्ठियजोगेहिं चंदा सूरा गहगणा य // 18 // णक्खत्ततारगाणं अवट्ठिया मंडला मुणेयव्वा / तेवि य पयाहिणा: वत्तमेव मेरं अणुचरंति // 19 // रयणियरदिणयराणं उहुं च अहे व संकमो णस्थि / मंडलसंकमणं पुण सभितरबाहिरं तिरिए // 20 // रयणियरदिणयराणं णवत्ताणं महग्गहाणं च / चारविसेसेण भवे सुहदुक्खविही मणुस्साणं // 21 // तेसिं पविसंताणं तावक्खेत्तं तु वड्डए णिययं / तेणेव कमेण पुणो परिहायइ णिक्खमंताणं / / 22 // तेसिं कलंबुयापुप्पसंठिया हुंति तावखेत्तपहा / अंतो य संकुडा बाहि वित्थडा चंदसूराणं // 23 // केणं वडइ चंदो ? परिहाणी केण होइ चंदस्स ? कालो वा जोण्हो वा केणऽणुभावेण चंदस्स IR4 // किण्हं राहुविमाणं णिच्चं चंदेण होइ अविरहियं / चउरंगुलमसंपत्तं हिच्चा चंदस्स तं चरइ ॥२५||बावहिँ 2 दिवसे 2 उ सुकपक्खस्स / जं परिवड्डइ चंदो खवेइ तं चेव कालेणं // 26 / / पण्णरसइभागेण य चंदं पण्णरसमेव तं वरइ / पण्णरसइभागेण य पुणोवि तं चेव वक्कमइ // 27 // एवं वड्डइ चंदो परिहाणी एव होइ चंदस्स / कालो वा जुण्हो वा एवऽणुभावेण चंदस्स // 28 // अंतो मणुस्सखेत्ते हवंति चारोवगां उ उववण्णा / पंचविहा जोइ. सिया चंदा सूरा गहगणा य // 29 // तेण परं जे सेसा चंदाइच्चगहतारणवखत्ता / णस्थि गई णवि चारो अवट्ठिया ते मुणेयव्वा // 30 // एवं जंबुद्दीवे दुगुणा लवणे चउग्गुणा हुंति / लावणगा य तिगुणिया ससिसूरा धायईसंडे // 31 // दो चंदा इह दीवे चत्तारि य सायरे लवणतोए / धायइसंडे दीवे बारस चंदा य सूरा य // 32 // धायइसंडप्पभिइसु उद्दिट्ठा तिगुणिया भवे चंदा / आइल्लचंदसहिया अणंतराणंतरे खेत्ते / / 33 // रिक्खग्गहतारग्गं दीवसमुद्दे जहिच्छसी गाउं / तस्ससीहिं. तन्गुणियं रिक्खग्गहतारगग्गं तु // 34 // बहिया उ माणुसणगस्स चंदसूराणऽवट्ठिया जोण्हा / चंदा अभीइजुत्ता सूरा पुण हुंति पुस्सेहिं / / 35 // चंदाओ सूरस्स य सूरा चंदस्स अंतरं होइ / पण्णाससहस्साई तु जोयणाणं अणूणाई // 36 // सूरस्स य 2 ससिणो 2 य अंतरं होइ / बाहिं तु माणुसणगस्स जोयणाणं सयसहस्सं // 37|| सूरतरिया चंदा चंदंतरिया य दिणयरा दित्ता / चित्तंतरलेसागा सुहलेसा मंदळेसा य // 38 // अट्ठासीइं च गहा अट्ठावीसं च हुंति णक्खत्ता / एगससीपरिवारो एत्तो ताराण वोच्छामि // 39 // छावट्ठिसहस्साई णव चेव साइं पंचसयराई /
SR No.004389
Book TitleAnangpavittha Suttani Bio Suyakhandho
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRatanlal Doshi, Parasmal Chandaliya
PublisherAkhil Bharatiya Sadhumargi Jain Sanskruti Rakshak Sangh
Publication Year1984
Total Pages746
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari, agam_jambudwipapragnapti, agam_jambudwipapragnapti, agam_nirayavalika, agam_kalpavatansika, agam_pushpika, agam_pushpachulika, agam_vrushnidasha, & agam
File Size13 MB
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