________________ 433 पुराणादिषुजिनेश्वरदेवमाहात्म्यदर्शकसूक्तानि ....... .अप्रमादीज अहिंसक आया चेव अहिंसा, आया हिंसंति निच्छओ एसो। जो होइ अप्पमत्तो, अहिंसओ हिंसओ इयरो // 10 // प्रत्यनिकोने रोकी सर्वशक्तिथी शासनप्रभावना करवी अहितं चैत्यबिम्बानां, निन्दकं मतभेदकम् / वारयेन्निखिलस्थाम्ना, पूर्व सामप्रकाशनात् // 11 // इदं दर्शनसर्वस्व-मिदं दर्शनजीवितम् / सामर्थ्येन यदर्थेन, क्रियते शासनोन्नतिः // 12 // इदं ज्ञानमिदं तत्त्व-मिदं धर्मस्य शासनम् / यत्क्रियत आर्हते धर्मे, सर्वस्थाम्ना प्रभावना // 13 // संघना माटे साधु संपूर्ण चक्रीनासैन्यनो नाश करे तोपण आराधक विभुरप्यवदभ्रूप !, सङ्घार्थे चक्रिणो बलम् / निखिलं हन्यते शक्त्या, साधुना मोक्षबन्धुना // 14 // 148 पुराणादिषुजिनेश्वरदेवमाहात्म्यदर्शकसूक्तानि श्री ऋषभदेवस्वामीनी उत्पत्ति पौराणिकमते कुलादिबीजं सर्वेषां, प्रथमो विमलवाहनः / चक्षुष्मांश्च यशस्वी चा-भिचन्द्रोथ प्रसेनजित् // 1 // मरूदेवश्च नाभिश्च, भरते कुलसत्तमः। अष्टमस्तु मरूदेव्या, नाभेर्जात उस्क्रमः // 2 // 28.