________________ सुभाषितसूक्तरत्नमाला अविणीयस्स पणस्सइ, जइ न पणस्सइ न जुज्जइ गुणेहिं / विज्जा सुसिक्खियावि हु, गुरुपरिभवबुद्धिदोसेण // 10 // अविणीयस्स उ विज्जं, गुरू वि दितो लहेज्ज वयणिज्ज / हारेज्ज सकज्ज पि हु, पावेज्ज ततो विणासं पि // 11 // विज्जावि होति बलिया, गहिया पुरिषेण विणयवंतेण / मुकुलपसूया कुलबा-लियव्य पवरं पई पत्ता // 12 // संकमइ दुन्विणीए, गुरुपरिभवकारए य नो विज्जा / सेणियनिव्वेव तत्थेव, संकम्मेज्जाउ विवरीए // 13 // इय जइ इहलोइयतु-च्छकज्जविज्जावि भावसारेण / पाविज्जइ हीणस्सवि, गुरुणो अच्चंतविणएण // 14 // विनयना बावन प्रकार तित्थयर-सिद्ध-कुल-गण-संघ-किरिया-धम्म / नाणनाणीणं आयरिय-थेरू-वज्झाय-गणीणं // 15 // अणासायणा य भत्ती, बहुमाणो तह वण्णसंजलणा / तित्थयरादि तेरस चउग्गुणा होति बावन्ना // 16 // श्रोताना गुण निहाविगहापरिवज्जिएहिं, गुत्तेहिं पंजलिउडेहि / भतिष हुमाणपूच्वं, उवउत्तेहिं सुणेयव्वं // 17 //