________________ शोलधर्मसूतानि सील उत्तमं वित्तं, सीलं आरोग्गकारणं परमं / सीलं भोगनिहाणं, सीलं ठाणं गुणगणाणं // 5 // कुलं यातु बलं यातु, यातु वित्तं तु सर्वथा / एकं शीलं तु मा यातु, मूलं मुगतिशाखिनः // 6 // ब्रह्मचारीने महाभयो विभूसा इत्थीसंसग्गो, पणीयं रसभोयणं / नरस्स अत्तगवेसिस्स, विसं तालउडं जहा // 7 // हत्थ-पायपडिच्छिन्नं, कन्नं नासवि कत्तियं / अवि वाससयं नारी, बंभयारी विवज्जए // 8 // द्रव्यथी पण शीलवत पालनारने धन्य छे अतिवाहितमतिगहनं, विनापवादेन यौवनं येन / दोषनिधाने जन्मनि, किं न प्राप्तं फलं तेन // 9 // ये न स्खलन्ति ते दक्षाः, कृष्णकेशतमोभरे / वार्द्धके तु सदोद्योतः, शिरस्थपलितेन्दुना // 10 // न य किंचि अणुन्नायं, पडिसिद्धं वावि जिणवरिंदेहि / मोत्तु मेहुणभावं, न तं विणा रागदोसेहिं // 11 // मात्रा स्वस्रा दुहित्रा वा, ना विविक्तासनो भवेत् / बलवानिन्द्रियग्रामः, पण्डितोपि च मुह्यति // 12 // * (बलवानिन्द्रियग्रामो विद्वांसमपि कर्षति॥) पाठान्तरं"