________________ 293 शिष्यधर्मसूतानि महल्लधम्मकज्जेसु, अववाओ वि देसिओ। न पुणो पावकज्जंमि, जिणधम्ममि कत्थ वि // 24 // उस्सग्गे अववायं, आयरमाणो विराहओ होइ / अववाए पुण पत्ते, उस्सग्गनिसेवओ भइओ // 25 // उस्सग्गववायविऊ, गीयत्थो निस्सिओ य जो तस्स। अनिग्रहंतो विरियं, असढो सव्वत्थ चारित्ती // 26 // 123 शिष्यधर्मसूक्तानि नेच्छइ य सारणाई, सारिज्जन्तो य कुप्पइ सपावो / उवएस पि न अरिहइ, दूरे सीसत्तणं तस्स // 1 // छन्देण गओ छन्देण आगओ चिट्ठिओ य छन्देण / छन्दम्मि अ वट्टमाणो, सीसो छन्देण मुत्तव्यो // 2 // नाणस्स होइ भागी, थिरयरओ दंसणे चरित्ते य / धन्ना आवकहाए, गुरुकुलवासं न मुंचंति // 3 // पढम चिय गुरुवयणं, मुम्मुरजलणु व्य दहइ भण्णंतं / परिणामे पुण तं चिय, मुणालदलसीयलं होइ // 4 // तह सेवन्ति सउण्णा, गुरुकुलवासं जहा गुरूणं पि / नित्थारकारणं चिय, पंथगसाहु व्व जायन्ति // 5 // गुरुमुले वि वसंता, जे गुरुपडिकुलया विवट्ठति / विहलं चिय तं तेसिं, अहव अणत्थफलं चेव // 6 //