________________ गीतार्थस्थानसूक्तानि अवलंविउण जं किंचि, समायरन्ति गीयत्था / थोवावराहबहुगुणं, सव्वेसिं तं पमाणं तु // 5 // नमोऽस्तु तुभ्यं भगवन् ! तपस्विने, मयि त्यमुच्चैः करुणापरो भव / मवाम्बुधर्मोहतरङ्गदुस्तरात्, प्रसीद निस्तारय किङ्करं निजम् // 6 // जो हेउवायपक्खंमि हेउओ आगमम्मि आगमिओ। सो समयपन्नवओ सिद्धंतविराहगो अन्नो // 7 // आणागिझो अत्थो, आणाए चेव सो गहेयव्यो / दिट्ठति उ दिहंता, कहणविहिविराहणा इहरा // 8 // जे जत्तिया य हेऊ, भवस्स ते चेव तत्तिया मुक्खे / गणणाईया लोगा, दुण्ह वि पुण्णा भवे तुल्ला // 9 // जिहाए वि लिहन्तो, न भदओ जत्थ सारणा नत्थि / दंडेण वि ताडता, स भदओ सारणा जत्थ // 10 // जह सीसाइं निकितइ, कोइ सरणागयाण जंतूणं। तह गच्छमसारन्तो, गुरू वि सुत्ते जो भणि // 11 // जहिं नत्थि सारणवारणा व, चोयणापडिचोयणा व गच्छम्मि। सो अ अगच्छो गच्छो, संजमकामीहि मोत्तव्यो // 12 // गच्छं तु उवेहन्तो कुव्वइ दीहं भवं विहीए उ / पालंतो पुण सिज्झइ, तइयभवे भगवईसिद्धं // 13 //