________________ प्रतिक्रमणसूक्तानि 31 प्रतिक्रमणसूक्तानि स्वस्थानाद्यत् परस्थानं, प्रमादस्य वशाद् गतः / तत्रैव क्रमणं भूयः, प्रतिक्रमणमुच्यते // 1 // भायोपशमिकाद्भावा-दौदयिकवशं गतः। तत्राऽपि च स एवार्थः, प्रतिकूलगमात्स्मृतः // 2 // पडिकमणं पडिअरणं, पडिहरणा वारणा नियत्ती य / निन्दा गरिहा लोही, पडिकमणं अट्टहा होइ // 3 // जहा विसं कुछगयं, मंतमूलविसारया / विज्जा हणंति मंतेहिं, तो तं हवइ निविसं // 4 // एवं अविहं कम्म, रागदोससमज्जिअं / आलोअंतो अनिंदंतो, खिप्पं हणइ सुसावओ // 5 // क्यपावो वि सगुन्सो, आलोइअनिदिअ गुरुसगासे / होइ अइरेगलओ, ओहरियभरुव्व भारवहो / 6 // पंचविहायारहेडं, इह साहुसावगो वा वि / पडिक्मणं सा गुरुणा, गुरुविरहे कुणइ इक्को वि // 7 // न किंचि अगुष्ठाणं, आवस्सयमाइयं चरणहेऊ / तकरणं गुरुमूले, गुरुविरहे ठावणापुरओ // 8 // अघनिष्क्रमणं भाव-द्विपदाक्रमणं च सुकृतसंक्रमणम् / मुक्तेः क्रमणं कुर्याद् , द्विः प्रतिदिवसं प्रतिक्रमणम् // 9 //