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________________ 48 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य (शिमोगा जिला) को राजा के उपहार की बात दर्ज है जो सेंद्रक विषय में स्थित था। ___ कदंब राजा विष्णुवर्म (469) तथा सिंहवर्म (495) के मुडिगेरे ताम्रपत्र यह बताते है कि पूर्ववर्ती तथा परवर्तियों ने छ: निवर्तन जमीन सेन्द्रक विषय के आसनदिलूर गाँव के उत्तरी भाग को तथा पाँच नवरत्नों जमीन दक्षिणी भाग के स्थानीय जैन मंदिर अर्हतायतन को दान में दी थी। वह गाँव आज आसंदिहल्लि के नाम से जाना जाता है जो मुडिगेरे के पास चिक्कमंगळूरू जिले में स्थित है। फिर ई.स. 524 में राजा रविवर्म ने आसंद्यलूर दावणगेरे के पुत्र सिद्धायतन की प्रार्थना के लिए जमीन दान में दी थी। .. कृष्णवर्म द्वितीय (545-70) के बेण्णूर कांस्य पत्र में भी यह उल्लेखित है कि पलमिडि गाँव सेंद्रक विषय में ही समाविष्टित है। शिलालेखिय सामग्री के आधार पर हम यह निष्कर्ष निकाल सकते हैं कि शिमोगा जिले का उत्तर-पश्चिमी प्रदेश सेंद्रकों का केन्द्र स्थान था और केर्नल का क्षेत्र छठी सदी में धीरे-धीरे फैलता गया था। पुलकेशी प्रथम के शासनकाल में सेंद्रकों का प्रमुख स्वामियर उपनाम सामियर शिवार का पुत्र तथा गोडराज का प्रपौत्र, कुंटुडि 3000 के प्रदेश पर शासन कर रहा था, इस प्रांत का सीमा भाग मिरिंजे का क्षेत्र था जो कि वर्तमान मिरज है। (भोजराज बी पाटील नागरखंड70,1995 37-40) राष्ट्रकूटों के राजा देज महाराज (533-35) के गोकाक- ताम्रपत्र, उनका वर्णन आगुप्तायिका वर्धमान महावीर के वंश के प्रमुख के रूप में करते हैं। सेंद्रक राजवंश के विजयानंद मध्यम राजा का पुत्र राष्ट्रकूट के अधिन था। अधिराजा इंद्रनंद जंबुखंडी प्रदेश के प्रधान थे। अधिराजा, विजयानंद तथा इंद्रनंद पूर्वी सेंद्रकों की ही शाखाओं से निकली आंध्र शाखा से संबंधित थे। ___ फणिकुल (नागकुल) सेंद्रकों के स्वामी कण्णशक्ति का पुत्र रविशक्ति चालुक्यों के शासक मंगलेश के हूलि पत्रों में दानी के रूप में दिखाई देते हैं। रविशक्ति ने अपने अधिपति मंगलेश के आदेशानुसार किरुव केरे, आधुनिक किरटगेरि (गदग जिला) गाँव में 16 वें तार्थंकर स्वामी शांतिनाथ को 50 निवर्तन की उपजाऊ जमीन दान में दी थी जो कि उसके सामंति अधिकार में था। अनुदेशक अभयनंदी, परलुरु संघ के श्रीनंदी का शिष्य दानी था। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004380
Book TitleBahubali tatha Badami Chalukya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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