SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 88
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य | 45 में से एक था, जिनका उल्लेख सातवीं शताब्दी के शिलालेखों में हुआ है। सेनवारों का नाम-वैविध्य इस प्रकार है... जैसे सेनावरा, सेणवार, सेनवल्ल, सेनमल्ल तथा सेनवा पहली बार उनका उल्लेख ई. स. 690 में कोप्पा (सं.37) में पाये जाने वाले शिलालेख में, आळूप राजा चित्रवाहन के सामंत के रूप में हुआ है। फिर भी आठवीं सदी के प्रारंभ से उन्होंने महामंडलेश्वर जैसे गौरवशाली पद का सम्मान पाया। हारोमुचडि (शिमोगा जिला, शिकारिपुर तालुका) के शिलालेख के अनुसार भावुवरक्के अरकेसरी (अरिकेसरी) सेनवार राजा मुंगुंदनाडु पर चालुक्य शासक विनयादित्य (681-96) का सामंत बनकर राज कर रहा था। दोसियरा (दोसिअरसन का संक्षिप्त रूप) उपनाम दोसि भवुवरक्के अरकेसरी का पुत्र अपने पिता के उत्तराधिकारी के रूप में कोकुल्लि प्रदेश में मुंगुदनाडु का प्रमुख बना। परवर्ती चालुक्यों के काल में मुंगुद जैनों का प्रमुख स्थान बना रहा। (Nagarajaiah Hampa: Vikramadity VI: P. 39). इम्मडी कीर्तिवर्म (745-57) को बोल-चाल की भाषा में कट्टियर अथवा कोक्कुलि के रूप में जाना जाता था। इनमें से प्रथम कीर्तिवर्म का संक्षिप्त रूप था। जबकि दूसरा विरला तथा विशिष्ट नाम है। उदाहरण स्वरूप चिक्कनंदिहळ्ळि (हावेरी जिला, ब्याडगी तालुका) के शिलालेख में सम्राट कीर्तिवर्म को कोक्कुलि कहा गया है। जबकि एक अन्य, दिडागूर (हावेरि जिला) के पुरालेख में तथा वोक्कलेरि के ताम्रपत्र में उनके नाम का उल्लेख कट्टियर के रूप में किया गया है। उपर्युक्त सारे रिकार्ड यह दर्शाते हैं कि दोसि उपनाम दोसियर बनवासी के 12000 प्रभागों का महामंडलेश्वर था। बाद में चालुक्यों तथा राष्ट्रकूटों के भयंकर युद्ध (सी ई 760) में दोसियरा मारा गया। ___मारक्के अरस सेनवार दोसियर का पुत्र तथा भूरक्के अरस के प्रपौत्र ने परास्त चालुक्यों से अपनी निष्ठा को तोडकर विजेता राष्ट्रकूटों के प्रति निष्ठा दिखा दी। उसने नवोदित साम्राज्य की सार्वभौमिकता स्वीकार की। उसकी अधीनता को पुरस्कृत करने के लिए अकालवर्ष कृष्ण प्रथम (756-74) ने मारक्के अरस (बनवासी प्रांत का राजपाल) यह बिरुद अर्जित किया। इसप्रकार इन्होंने बनवासी नाडु के अकालवर्ष पृथ्वी वल्लभ मारक्के अरस बिरुद प्राप्त किए। तत्कालीन युग के एकबंध में गोसास पाषाण में एक छोटा सा उल्लेख सेनवार राजवंश का उल्लेख किया गया है। उन्होंने पश्चिमी घाट (आधुनिक शिमोगा, चिक्कमंगलूर चित्रदुर्ग तथा हावेरि जिला) पर शासन किया। सेनवार जैनधर्म में Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.004380
Book TitleBahubali tatha Badami Chalukya
Original Sutra AuthorN/A
AuthorNagarajaiah Hampa, Pratibha Mudaliyar
PublisherRashtriya Prakrit Adhyayan tatha Anusandhan Sanstha
Publication Year2014
Total Pages236
LanguageSanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy