________________ बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य | 39 का उल्लेख मारम्मा आळुवरस (840-70) के उद्यावर शिलालेख में हुआ है। अरकेल्ल तृतीय का उल्लेख 1006 में कलियूरू पुरालेख में हुआ है। ___ केल्लों के प्रमुख प्रारंभ में आनुपाओं के सामंत थे, जो बाद में कदंबों तथा चालुक्यों के सामंत राजा बन गए। उसके बाद वे गंगों तथा राष्ट्रकूटों के प्रभाव में आ गए। गंगों के प्रमुख शिवमार द्वितिय (788-812) के अधीन रहकर सियगेल्ल ने सेनापति तथा मुरुगूरुनाडु तथा केसुमण्णुनाडु के राजपाल के रूप में अपनी सेवाएं प्रदान की। वीरगल्लु (वीर पाषाण) में प्रमुखता से केल्लों का उल्लेख इस बात को सिद्ध करता है कि केल्ल जाँबाज योद्धा थे। निर्भीक दंडनायक रीयगेल्ल तो मुक्केबाज ही था। अरकेल्ल द्वितिय शेरदिल नायक को समरैक सार्थ मारबल राम तथा समंत चुडामणि कहा गया है। गंग शासकों श्रीपुरूष (725-812), शिवमार (788-812), इरेगंग नीतिमार्ग द्वितिय (907-19) तथा राचमल्ल तृतिय (925-35) के प्रति केल्ल निष्ठावान थे। अपने स्वामी इरेगंग मारगन ने इगेरु की रणभूमि पर युद्ध में भाग लिया था। अन्निकंडूपा, अरकेल द्वितिय का पुत्र तथा पोयसल मारुग अरकेल्ल द्वितिय के पपौत्र ने भी राचमल्ल द्वितिय तथा नोलंबा अनिगा के बीच हुए युद्ध में भाग लिया था और रणभूमि में वीरगति प्राप्त की थी। ___महाकेल्ल उपनाम केल्ल चित्रसेन, सियकेल्ल उपनाम सियगेल्ल दोनों सामंत प्रमुख थे। जिन्होंने चालुक्यों के युग में महत्वपूर्ण भूमिका निभायी थी। सियगेल्ल ने पिचनूर, कागिमोगेगुर तथा बागेयूर के युद्ध में भाग लिया और वीरता से लडकर वीरगति प्राप्त की। 4 ऊ) गंग वंश लौकिक दृष्टि से गंग चालुक्यों का एक अन्य स्थानीय तथा समकालीन राजवंश था, अगर सामान्य शब्दों में कहा जाय तो वह अग्रसर हुआ और उन्होंने चालुक्यों से एक शतक पूर्व स्वयं को स्थापित कर लिया और उन्होंने कुछ और शतकों तक अपने राजनीतिक महत्व बनाए रखा। गंगों के प्रांत को गंगावाडी 96,000 कहा जाता था, जिन्होंने पल्लवों और चालुक्यों के राजतंत्र में प्रतिरोध का काम किया। ___ चालुक्यों ने दक्षिण के विशाल क्षेत्र पर अपने अधिपत्य की छाप छोडी थी और उनके शाही प्रभाव के मध्य-भारत तथा गुजरात के दक्षिण भाग में भी देखा गया और जिन्होंने 200 वर्षों तक परमस्वामी के रूप में अपने हाथ में सत्ता की बागडोर Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org