________________ 34 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य मंडल के प्रभारी बिब्बरस तथा गोणकरस को छोडकर राजनीतिक परिदृश्य से बाण भी जैसे गायब हो गए। ___ बाणों का राजचिह्न था वृषभा महावली, महाबली, महावली, ब्रहत बाण आदि बाणों के पारिवार के भिन्न नाम थे। गंग राजा श्रीपुरूष के शासन में मरुगरे-विषय पर बाणों ने अपनी पकड खो दी तथा केल्लों के सियगेल्ला मरुगरे (अर्थात् मरुकर) के प्रदेश पर शासन कर रहा था। सगर (मणलेरा) परिवार के राजकुमार मरुवर्म का पुत्री राजकुमारी कुंडाच्ची, निगुंड प्रदेश पर शासन करनेवाला बाण राजा निगुंडराज उपनाम परंगूल की महारानी थी। कुंडाक्की जिन की कट्टर भक्त थी, जिसे श्रीपुर के लोकतिलक जिनालय का आयुक्त नियुक्त किया गया था। उक्त मंदिर विश्व स्तर के उत्कृष्ट मंदिरों में से एक है। परंगुळ उपनाम पृथ्वी निगुंदराज के अनुनय विनय पर, प्रसिद्ध श्रीपुरूष (725-88) जब मण्णे (मान्यपुर) विजयाभियान कर रहा था तब लोकतिलक जिनालय में जिन की पूजा आदि के लिए पोन्नळ्ळि ग्राम, उपजाउ जमीन, मकान तथा जमीन (निवेशन) आदि दान में दिया था। (A History of Early Ganga Monarchy and Jainism-1999:22-23). 4. इ) भोज (भोजक) भोजों का उल्लेख पहले ऋग्वेद (II 3.7) में और उसके बाद ऐत्तरिय ब्राह्मण में है। यह वंश दक्षिण का है। पुराणों में यह भी दर्ज है कि भोज, सातवातों के साथ भी जुड़े हुए थे जो महाभारतकालीन प्राचीन जाति (कुल) से संबंधित थे और आधुनिक मध्यप्रदेश में रहा करते थे। परंपरा से भोज हैहया की पाँच शाखाओं में से एक थे। महाकवि कालिदास ने अपने महाकाव्य रघुवंश में यह उल्लेख किया है कि भोज विदर्भ का राजा था। जैन साहित्य में भी भोजों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि भोज विदर्भ का राजा था। जैन साहित्य में भोजों का उल्लेख करते हुए कहा गया है कि ऋषभदेव के काल में भोज सम्मानित क्षत्रिय (योद्धा) थे। राजकुमारी राजमति जो युवराज नेमीनाथ (22 वें तीर्थंकर) की पत्नी होने वाली थी, इस परिवार में ही जन्मी थी। संक्षेप में, भोजों की ऐतिहासिकता पर विचार करते समय, जो अशोक के अभिलेखों में महाभोज के रूप में पहचाने जाते थे, दक्षिण में आदि कदंब तथा बादामी राजाओं के शासनकाल में प्रमुख रूप से उभर कर आते हैं। भोज अधिनस्थ Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org