________________ 18 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य और कुशलता से उसने पूर्वी खाड़ी प्रदेश के आंध्र राज्य को जीतकर अपने राज्य के साथ जोड दिया और वेंगी उपनाम पूर्वी चालुक्य राजवंश की स्थापना की और उसके बाद लगभग 500 वर्षों से भी अधिक समय तक अपना प्रभाव बनाए रखा। __ कुब्ज विष्णुवर्धन की महारानी अय्यण महादेवी के विजयवाटिका, नडुम्बिवसति (जैन मंदिर) तथा तोकनाटवाडा-विषय में स्थित मुसुनिकोंड ग्राम का प्रबंध करने नियुक्त किया। नधुम्बिवसति के प्रमुख धर्माचार्य कालीभद्राचार्य कौरूरु गण से संबधित थे जो कि सूरतगण का ही सहगण था और गदग जिले के मूलतः लक्कुंडी के पास वाले कौरूरु ग्राम से जुड़ा था। (नागराजय्या हंप.- कविवर कामधेनु : 1996 P-49, ARSIE. 1916-17. अ-9 : CE:762). ___ एकबार फिर साम्राज्य ने संघर्ष और सामंतिय बैर को देखा। पुलकेशि के दो पुत्रों ने अपनी स्वाधीनता की घोषणा की। तेरह वर्षों की ऐतिहासिक रात्री बीत चुकी थी। एक दशक से भी अधिक समय के लिए पल्लवों के काले बादलों ने चालुक्यों के चमकीले सूरज को घेर रखा था। वैसे पल्लव चालुक्यों को अपने साम्राज्य में . मिला लेने को तत्पर नहीं थे और अपने दुश्मन को सजा देने में ही खुश थे। जब पल्लव व्यवधान डाल रहे थे तब विक्रमादित्य प्रथम के भाई चंद्रादित्य और आदित्यवर्मन चालुक्य साम्राज्य की सीमा पर, जो केंद्र से बहुत दूर था, शासन कर रहे थे। ___ चालुक्य सिंहासन के उत्तराधिकारी के बारे में कई भिन्न-भिन्न मत हैं, जिसकी सविस्तार चर्चा की आवश्यकता है। महालिंगम आदित्यवर्मन से विक्रमादित्य की पहचान की सलाह देते हैं। किंतु डी.सी सिरकार और डी.पी. दीक्षित इनसे मतभेद रखते हैं। सिरकार का मत है कि आदित्यवर्मन तथा चालुक्यों की राजगद्दी के दावेदार बादामी से सूदूर प्रदेशों में शासन कर रहे थे। जबकि दीक्षित जोर देकर कहते हैं कि आदित्यवर्मन अपने पिता के जेष्ठ पुत्र होने के नाते अल्पसमय के लिए (अर्थात दो वर्ष 642, 643-45) पुलकेशि द्वितीय का प्रथम उत्तराधिकारी बनकर सिंहासनाधिष्ठ हुआ। उसके बाद चंद्रादित्य (646-49) का शासन चला और उसने लगभग एक दशक तक शासन किया। फिर अभिनवादित्य ने (645-46) एक वर्ष तक शासन किया और अंत में विक्रमादित्य को राजमुकुट पहनाया गया। (Dikshit D.P: Political History of Chalukyas of Badami-1980:114-15). Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org