________________ अध्याय सात जैन - शिल्पकला भाग-आ PARE जिन शासनदेवता अंबिका, पद्मावती, ज्वालामालिनी तथा बाहुबलि ___ इस काल के परिकर देवी, देवता तथा जैनों के अलौकिक तत्वों का मूर्तिकला को ब्योरेवार देखना परखना उचित होगा। ऐसा करने से हम आगामी काल की शिल्पकला पर उसके प्रभाव और फैलाव के पदचिह्न तथा निशान पा सके। अतः विशेष मुद्रा में बैठे तथा खडी प्रतिमाएँ तथा परिकरों को विस्तार से अध्ययन करने की आवश्यकता है। देवताओं की पूजा तथा उनकी लोकप्रियता जैनों के धार्मिक रीति रिवाजों में घुल मिल गए हैं। निग्रंथ समुदाय के उत्साही चरित्र नायकों ने अपने पसंद की पवित्र मूर्तियाँ तथा इष्ट देवता की प्रतिमाएँ साम्राज्य के कई जगहों को समर्पित कर दी। इस प्रकार जैनधर्म की जड़ें गाँवों तक जनमानस को भी प्रभावित कर गयीं। इस पर विचार करना आवश्यक है। लोकप्रिय देवताओं की सन्निकटता से, यह गतिशील मत राजनीतिक, सामाजिक तथा आर्थिक सहयोग प्राप्त कर सका जिससे वह आगे बढा। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org