________________ बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य | 87 छोटी जैन गुफाएँ उल्लेखनीय मेगुडी के कारण ऐहोळे की पहाडी को मेगुडी पहाडी यह नाम प्राप्त हुआ। इसके अलावा मीन बस्ति गुफा के साथ एक अन्य साधारण दरवाजें की एक छोटी गुफा को भी पहचान प्राप्त हुई। एक विशाल शिलाखंड में उत्कीर्णित जैनगुफा में एक आयताकार गर्भगृह की चौखटों की पाखें गोलाकार फूलों की सांचे में ढली थी। गर्भगृह का रिक्त सिंहासन गद्दों तथा मखर से सजा हुआ था। ___ भले ही गर्भगृह में प्रतिष्ठापित मूल नायक की प्रतिमा लापता है तो भी सेवकों तथा त्रिछत्र की नक्काशी पीछे की दीवार पर नज़र आती है। पीठ की शैलिगत समानता तथा मेगुडी के सेवकों की प्रतिमा के साथ इसकी समानता को विचाराधीन रखने के बाद प्रो. एस. राजशेखर का यह कहना है कि यह गुफा या तो छठी सदी के उत्तरार्ध में खुदवाई गई होगी या फिर सातवीं सदी के प्रारंभ में ही खुदवाई गई होगी। (Early Chalukyas Art at Aihole : 1985, p.103) ___ मेगुडी के पास ऐहोळे की एक अन्य गुफा जो आकार में छोटी है वह शिल्परहित है। इसका संबंध भी जैनों से था। कदाचित इसके आयाम तथा गहराई की लघुता के कारण शिल्पकारों तथा संरक्षकों, जिन्होंने इसकी खुदाई की होगी, ऐहोळे में इससे भी विशाल गुफा खुदवाने की खातिर इसका त्याग कर दिया होगा। जैन गुफाओं को अक्सर लयन, लयण, लेण तथा कल्लमने अर्थात् शिलाघर कहा जाता है। संक्षिप्त रूपरेखा - विषय से संबंधित तत्कालीन शिल्पों पर विचार करने से पूर्व वीथिकाओं के ऐसे ही समान शिल्प जो ऐहोळे तथा बादामी के पाषाण मंदिरों में खुदवाए गए थे, की संक्षिप्त रूपरेखा यहाँ प्रस्तुत है, जिससे आगे के अध्ययन में सुविधा होगी। पट्टशाला की छोटी दीवारों पर वर्णनात्मक ढंग से छैनी से तराशे गए बाहुबलि तथा पार्श्व की सुंदर प्रतिमाएं, जो अत्यंत नाटकीय एवं असाधारण है, जिनकी विस्तार से चर्चा की आवश्यकता है। दोनों नग्न प्रतिमाएँ अपने से एक तरह के दिव्य प्रभाकिरणों को परावर्तित करती है और उनको ऐसी मुद्रा में खुदवाया गया है जैसे कि वे हर प्रकार के मौसम को संयम के साथ सामना कर सके। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org