________________ 86 | बाहुबलि तथा बादामी चालुक्य राजा खारवेल के पुरालेख हाथी गुफा से संबंधित है जो बाद में दक्षिण तथा पूर्वी तट के प्रदेश के राजवंशों को प्रेरित कर गई। इसी प्रकार, पद्मासन मुद्रा में बैठी पार्श्व की प्रतिमा कुमारगुप्त के शासनकाल (425-20) में उदयगिरि की गुफा संख्या 20 में उत्खननित की गई थी, जिसने एक नई शैली को अनुप्राणित किया था। ___ कुंतलदेश में ऐहोळे तथा बादामी की दोनों जैन गुफाओं की ज्ञात तिथि छठी सदी का उत्तरार्ध है और निश्चित ही जिनेन्द्रभवन (मेगुडी) दिनांक 634-35) से पूर्ववर्ती है, जो कि प्राचीन गुफाओं का उपलब्ध उदाहरण है। ऐहोळे की गुफा, जो राजा कीर्तिवर्म प्रथम (566-97) के शासनकाल में बनायी गयी थी। संभवतः कीर्तिवर्म के बडे भाई पुगवर्म (566) को श्रेय देने के लिए उत्खननित की गई थी। राजा मंगलराजा के शासनकाल की बादामी की गुफा संभवतः अपने बड़े भाई को श्रेय देने हेतु 595 में खुदवाई गई होगी। ऐहोळे की गुफा मीन वस्ति (मीन बसादि) के नाम से भी जानी जाती है, जो प्राचीन शिल्पकला की नीधि है, जो पूर्वी वैभव की गाथा कहती है और वहीं से दक्षिण में जैन शिल्पकला के बहुमूल्य अध्याय का आरंभ हुआ। वीथिका की भित्तियों पर खुदवाई गई पार्श्व तथा बाहुबलि की चैतन्यपूर्ण तथा अभिनव प्रतिमाएं, जो एक दूसरे के बिल्कुल सम्मुख है, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक तथा शिल्पकला की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण है। ___ पाषाण मंदिर की सबसे उँची चोटी पर बनी बादामी की जैनगुफा अपने परिसर -तथा आंतरिक बनावट और क्षेत्र के कारण एकांतवास के लिए जैसे एकदम पवित्र स्थान है। प्रभावी नींव के मध्यभाग में अत्यंत दक्षता से खुदवाए गए सिंह-मुख है। सामनेवाले कक्ष में एक ओर बाहुबलि तथा दूसरी ओर जैनपार्श्व की उतनी ही सुंदर तथा प्रभावी जीवंत प्रतिमाएं हैं। __बादामी की समूह गुफाएँ एक शिलाखंडीय जैन मंदिरों का प्रतिनिधित्व करती है। मेगुडी की दक्षिणपूर्वी पहाडी का जैन मंदिर तथा दो मंजिला जैन मंदिर सबसे प्राचीन जैन मंदिर है। जैन गुफाओं का मध्यवर्ती दालान पूर्व दिशा में आयाताकार गर्भगृह में खुलता और उसके उत्तर तथा दक्षिण में शिल्प मंदिर है। गुफा के मध्य दालान की दीवार पर दायें हाथ में मछली धारण किये हुए यक्ष का चित्र है। इस छोटे किंतु सघन गुफा ने मीन बसती यह नाम अर्जित किया और यही नाम बोलचाल की भाषा में प्रचलित भी हुआ। Jain Education International For Personal & Private Use Only www.jainelibrary.org