________________ सन्दर्भ :1. सर्वार्थसिद्धि 7.22.363 2. रत्नकरण्डश्रावकाचार 122, भगवती आराधना 71-74; सागारधर्मामृत 8-9-10 3. भगवती आराधना, गाथा 1918-1921 4. वही, 2160-2162 5. धर्मपरीक्षा 19-96 6. भगवती आराधना, गाथा 206 7. पंचास्तिकाय तात्पर्यवृत्ति 173-253 8. भगवती आराधना, गाथा 256-259, 1674, सागारधर्मामृत 8.23 9. सर्वार्थसिद्धि 7.22 10. भगवती आराधना, गाथा 76 11. धवला 1/1.1.1/25 12. सर्वार्थसिद्धि 7.22 13. वही 14. सर्वार्थसिद्धि 7.22 15. तत्त्वार्थसूत्र 7.37 16. भगवती आराधना, गाथा 1922 17. सागारधर्मामृत 8.16 18. भगवती आराधना, गाथा 18-21 19. भगवती आराधना, गाथा 24, पुरुषार्थसिद्ध्युपाय 176 20. भगवती आराधना, गाथा 74; तत्त्वार्थवार्तिक 7.22 21. धवला 1/1.1.1/23.4; भगवती आराधना वि. 64.110/8 22. भगवती आराधना, गाथा 65, 2012 23. भगवती आराधना वि. 29/113 24. मूलाराधना 112 25. रत्नकरण्डश्रावकाचार 125 26. चारित्रसार 48/2_27. उपासकाध्ययन 271-272, वसुनन्दि श्रावकाचार 271-272 28. भगवती आराधना, 2083-2084 29. भगवती आराधना 689-695 30. भगवती आराधना 1501-1510 / समाधि भावना दिन-रात मेरे स्वामी, मैं भावना ये भाऊँ। देहान्त के समय में, तुमको न भूल जाऊँ।। शत्रु अगर कोई हो, सन्तुष्ट उनको कर दूँ। समता का भाव धर कर, सबसे क्षमा कराऊँ।। त्यागँ आहार पानी, औषध विचार अवसर। टूटे नियम न कोई, दृढ़ता हृदय में लाऊँ।। जागें नहीं कषायें, नहीं वेदना सतावे / तुमसे ही लौ लगी हो, दुर्ध्यान को भगाऊँ।। आतम स्वरूप अथवा, आराधना विचारूँ। अरिहंत सिद्ध साधु, रटना यही लगाऊँ।। धरमात्मा निकट हों, चरचा धरम सुनावें। वह सावधान रक्खें, गाफिल न होने पाऊँ।। जीने की हो न वांछा, मरने की हो न इच्छा। परिवार मित्र जन से, मैं राग को हटाऊँ।। भोगे जो भोग पहले, उनका न होवे सुमिरण। मैं राज्य सम्पदा या, पद इन्द्र का न चाहूँ।। रत्नत्रय का पालन, हो अन्त में समाधि। 'शिवराम' प्रार्थना है, जीवन सफल बनाऊँ।। प्राकृतविद्या+जनवरी-दिसम्बर (संयुक्तांक) '2004 40 45