SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 98
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ 88 . __ मृत्यु की दस्तक और उनका अमृतपान अनेक प्रश्नों को उपस्थित करता है जिस पर यहाँ विचार करना प्रासंगिकुं नहीं है। केवल यहाँ इतना कह देना पर्याप्त है कि देवता अमृतपान करने के पश्चात् भी सापेक्षिक अमरत्व ही प्राप्त कर सके। उनके अमरत्व का मात्र इतना ही अर्थ है कि मनुष्यों की अपेक्षा उनका जीवन अधिक दिनों तक रहता है जो देववर्ष से सौ वर्ष होता है। ___ असुरों द्वारा विभिन्न प्रकार की कठोरतम तपस्याएं, मानवों द्वारा रस भस्म, पारद की खोज, कायाकल्प की प्रक्रिया एवं मृत्युंजय की उपासना अमरत्व की प्राप्ति का असफल प्रयास माना है। उक्त नासदीय सूक्त में मृत्यु के संकेत के पश्चात् ऋक् संहिता में मृत्यु सूक्त और यम सूक्त नाम से दो सूक्त उपलब्ध होते हैं जिनमें देवयान, पितृयान, मृत्यु की सर्वशक्तिमत्ता, व्यापकता तथा यम के कार्य, यमदूतों का विवरण, यम से दीर्घायु होने की प्रार्थना आदि का विस्तृत विवेचन उपलब्ध होता है। ऋग्वेद के बाद कठोपनिषद्, जो सम्पूर्ण रूप से मृत्यु या यम के साथ नचिकेता के संवाद का विवरण है, में कुछ ऐसे बिन्दुओं का संकेत किया गया है जिनसे मृत्यु की अवधारणा के विषय में कुछ महत्त्वपूर्ण प्रश्न उपस्थित होते हैं। उपनिषद् का आरम्भ इस बात से होता है कि वाजश्रवा के पुत्र वाजश्रवस ने विश्वजित यज्ञ का अनुष्ठान किया जिसमें सब कुछ दे दिया जाता है किन्तु देने वाली वस्तुओं में वे गायें भी सम्मिलित हैं जो अत्यन्त जीर्ण-शीर्ण हो चुकी हैं और दूध देने योग्य नहीं रह गयी हैं। इन गायों को दान में देते देख वाजश्रवस के पुत्र नचिकेता में श्रद्धा का भाव उदित होता है और चिन्ता.के साथ अपने पिता से पूछता है कि आप मुझे किसको दान में दे रहे हैं। इस बात को अनेक बार कहने पर पिता आवेश में आकर कहते हैं कि "मृत्यवे त्वां ददामीति" / अर्थात् तुम्हें मृत्यु को दे रहा हूँ और इस कथन से नचिकेता मृत्यु या यम के पास चला जाता है। इस आख्यान से जो विचारणीय प्रश्न उपस्थित होते हैं उनका यहाँ संकेत किया जा रहा है - क्या उपनिषद् काल में ही यज्ञ प्रदर्शन के लिए होने लगे थे? उपनिषद् के ऋषि और दान के प्रति उनकी उक्त निष्ठा में संगति कैसे स्थापित हो सकती है? क्या ऐसे ऋषि के वचन में ऐसी क्षमता संभव है कि उसके कहने मात्र से उसका पुत्र यमलोक या मृत्यु लोक में चला जाए? आदि। इस आख्यायिका में मृत्यु के संदर्भ में एक महत्त्वपूर्ण बिन्दु नचिकेता का यम से प्रथम वरदान के रूप में यह माँगना है कि जब आपके यहाँ से मैं अपने पिता के पास जाऊँ तो वे मुझे पहचानकर मुझसे बातचीत करें। इस वरदान से यह ध्वनित होता है कि मृत्यु के यहाँ से वापस तो आया जा सकता है किन्तु वापस आने पर उसकी 2. मृत्युसूक्त, ऋग्वेद, 10,18,1-14 / यमसूक्त, ऋग्वेद, 10,14,1,161 3. पीतोदका जग्धतणा दुग्धदोहा निरिन्द्रिया अनन्दा नाम ते लोकास्तान् स गच्छति ता ददत्। - कठोपनिषद् 3. 4. त्वत्प्रसृष्टं माभिवदेत्प्रतीतः एतत् त्रयाणां प्रथमं वरं वृणे।
SR No.004376
Book TitleMrutyu ki Dastak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
PublisherD K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
Publication Year2005
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy