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________________ मृत्यु की अवधारणा - इस्लाम की दृष्टि में मृत्यु और कवि गम्भीर समस्याओं के लिए कवियों को बहुत उपयुक्त नहीं समझा जाता। कवि कल्पनाओं, संकेतों एवं उपमाओं द्वारा जो कुछ वर्णन करता है उसे यथार्थ में बदलना कठिन होता है। परन्तु कवि अन्य लोगों की अपेक्षा अधिक संवेदनशील एवं दूरदृष्टि वाला होता है। कुछ कवियों को इस क्षेत्र में सिद्धि प्राप्त होती है। उनकी कविता गूढ़ विषयों को भी बड़े सरल भाव में व्यक्त करती है। लेख से सम्बन्धित, अल्लामा इकबाल की कविताओं से कुछ पंक्तियां प्रस्तुत करना चाहता हूं जिससे मृत्यु के सम्बन्ध में ठीक दृष्टिकोण समझा जा सकता है। अल्लामा ने बड़ी बुद्धिमत्ता से मृत्यु का वर्णन किया है। आपने अपनी माता की मृत्यु पर एक शोक गीत लिखा है जिसमें आपने मृत्यु के रहस्य को समझाने का प्रयत्न किया है। सर्वप्रथम इकबाल ने इस बात की ओर संकेत किया है कि जीवन के लिए बहुत प्रयत्न एवं जतन करना पड़ता है परन्तु मृत्यु सरलता से चली आती है और अपना कार्य करके चल देती है। उसे इसकी परवाह नहीं कि जिसके जीवन का अन्त करने वह जा रही है उसने जीवित रहने के लिए क्या कुछ प्रबन्ध कर रखा था - कितनी मुश्किल जिन्दगी है, किस कदर आसान है मौत। गुलशन-ए-हस्ती में, मनिन्द-ए-नसीम अरजाँ है मौत / / इसके पश्चात् यह स्पष्ट किया कि मौत के कारण कई प्रकार के हैं तथा मौत की पकड़ में प्रत्येक मनुष्य है। मौत को अमीर-गरीब तथा शहर-देहात से भी कोई मतलब नहीं - ज़लज़ले हैं, बिजलियां हैं, कहते हैं, आलाम हैं। .. कैसी कैसी दुःखतरान-ए-मादर-ए-अय्याम हैं।। कुलब-ए-इकलास में, दौलत के काशाने में मौत। दश्त-व-दर में, शहर में, गुलशन में, विराने में मौत।। मौत है हंगामा आरा, कुलजुम-ए-खामोश में। डूब जाते हैं सफीने, मौत की आगोश में / / इसके पश्चात् उस तथ्य का वर्णन करते हैं जो जीवन-मरण विषय पर सबसे महत्त्वपूर्ण एवं ध्यान देने योग्य है। अर्थात् मौत वास्तव में एक स्थाई एवं जीवन का माध्यम है। अतः इसे इसी दृष्टि से देखने की आवश्यकता है। इस भाव को इकबाल ने बड़े सुंदर ढंग से व्यक्त किया है - . जिन्दगी की आग का अंजाम खाकस्तर नहीं। टूटना जिसका मुकद्दर हो यह वह गौहर नहीं।।
SR No.004376
Book TitleMrutyu ki Dastak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
PublisherD K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
Publication Year2005
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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