________________ 202 .. मृत्यु की दस्तक निसा, 56 निःश्रेयस्, 8 नीरज, 187 निद्रा, मृत्यु का लघु संस्करण, 190 निद्रावस्था में आत्मा शरीर से निकलकर सैर करने चली जाती है, 130 दशगात्र श्राद्धकर्म, 118 दादू (सन्त), 45 दाह-संस्कार, 114 दिन और रात्रि भी मृत्यु है, 6 द्विवेदी, प्रभुनाथ, 6, 69 द्विवेदी, रेणु, 5, 44 द्विवेदी, व्रजबल्लभ, 6, 63 दुर्थीम, 12, 173 देवता भी अमर नही, 87 देवताओं की आयु, 92 देवपथ, 133 देवयान, 133 देवलोक, 108 देवीगीता, 81, 82 . देहदैहिक (फिजियोलॉजिकल), 3 दैहिक (फिजियोलॉजिकल), 3 द्रोणाचार्य, 98 द्वादशाह श्राद्धकम, 120 धन्ना (सन्त), 45 धन्वन्तरि, 134 धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष नामक चार पुरुषार्थ, 66 धर्मसूत्र, 116 पद्म पुराण, 163 पंच प्राण, 19 पंचकर्मेन्द्रिय युक्त शरीर से प्राण का संयोग न होना, 111 पंच-तत्त्व, 130 पंच-तत्त्व में भौतिक शरीर का विलीन हो जाना ही मृत्यु है, 133 पंचनख अथवा क्षौरकम, 119 .. . पंचभौतिक शरीर, 5, 12, 39. पंचमहाभूत, 111 पंचज्ञानेन्द्रिय, 111, 167 परब्रह्म, 92 , परमेश्वर के तीन कार्य सृष्टि, पालन एवं नाश, 79 परमेश्वर पंचकृत्यकारी है, 68 परमेश्वर सबकी मृत्यु है, 79 परलोक, 65, 131 परशिव ब्रह्मा, 4 , परात्पर विष्णु, 92 पर्णनर दाह, 115 पाइथागोरस ने आत्मा का दिव्य उद्भव माना, 132 पाण्डे, कपिलदेव, 7, 78 पाण्डे, सियाशरण, 5, 38 पांडवों का स्वर्गारोहण, 139 पापग्रह, 100 पारमेश्वरागम, 4, 20 पाराशर-स्मृति, 116 पार्वण श्राद्ध, 122 पार्सन्स, 12, 174 पालि त्रिपिटक में निर्वाण को अमृतपद कहा गया, 186 पिण्डदान, 108 पितर पूजन, 129 पितरलोक, 2, 108 नचिकेता, 6, 65, 71, 106, 131, 176 नचिकेता के पिता द्वारा उसे "मृत्यु को देना, 73 नन्दीमुख श्राद्ध, 122 नये कोश की रचना, 135 नरक, 131 नानकदेव, (गुरु) 5, 45, 47 नामदेव (सन्त), 45 नारायण बलि, 108, 119 नारायण, रमेश, 13, 192 नारायण, वशिष्ठ, 3, 89 नाश कार्य का ही नाम मृत्यु है, 79 नासदीय सूक्त, 88 नित्यवादी, 8, 90 नित्याषोडशिकार्णव, 6, 63 निर्वाण, 8, 86, 186 निर्वापण, (एक्सटिंग्विशन), 3