SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 211
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ अनुक्रमणिका 201 चन्द्रमा भी मृत्यु है, 7 चार्ल्स डारविन का विकासवाद का सिद्धांत, 134 चार्वाक, 89, 129 चिरनिद्रा, 9, 95 चीन की आत्मा के बारे में मान्यता, 129 चैटरटन ने विषपान करके मृत्यु को गले लगाया, . 139 चौरासी लाख योनियाँ, 4, 19 जैन परम्परा में मृत्यु का स्वरुप, 97 जैन मान्यता के अनुसार मृत्यु का वास्तविक अर्थ 42 जैन, मुन्नी पुष्पा, 4, 26 जैमिनीय ब्राह्मण, 72 जैविकी, 3 जैविकीय दृष्टि से जीवित, 172 जो|इ, जेन्ट (सर) 39 ज्योतिष काल के भोगों को मृत्यु मानता है, 111 ज्योतिष के अनुसार मृत्यु के कई प्रसंग और पक्ष, 100 ज्योतिष के विभाग, 100 ज्योतिष भी कर्मकाण्ड का अंग, 9, 109 ज्योतिष विद्या के अठारह प्रवर्तक, 100 ज्योतिष-शास्त्र में मृत्यु की अवधारणा दैहिक स्तर तक,9 छान्दोग्योपनिषद्, 6, 17, 19, 70 झा, हेतुकर, 12, 166 झुनझुनवाला, दीनानाथ, 13, 183 डी.एन.ए., 39 डिम्ब, 143 डेकार्ट, 13 डेथ, ब्रेनस्टेम, 133 डोयोजनीज, 139 जन्म और मरण का चक्र, 7, 18, 44, 127 . जन्म और मृत्यु परस्पर विरोधी नही, 10, 137 . जन्म भी सार्वभौमिक, 1 जन्मदिवस बनाम मृत्युदिवस, 137 जन्म-मरण रूपी संसार, 17 जन्म-मृत्यु के अनादि बन्धन, 160 जन्मान्तर-वाद, 10, 145 . जल-समाधि, 114 जातस्य ही ध्रुवो मृत्युः ध्रुव जन्म मृत्युश्च, 39 जिनागम, 5 जीन (जीवाणु कोशतत्त्व), 3, 142, 143 जीवन और मृत्यु की सातत्यता, 13 . जीवन एवं मरण का स्वामी अल्लाह, 54 जीवन का कारण अन्न, 75 जीवन का परिष्कार, 131 जीवन मृत्यु की सहेली, 13 जीवनद्रव (प्रोटोप्लाज्म), 135 जीवनमुक्त, 20 . जीवात्मा, 20 जीवित कोश, 135 जीवेम शरदः शतम्, 70 जेम्स, विलियम, 130 जैन, अनेकान्त कुमार, 4, 30 जैन आगमों में मरण के प्रमुख भेद, 27 जैन धर्म, 2, 3 जैन धर्म के अनुसार छ: पर्याप्तियाँ 41 जैन धर्म में मृत्यु महोत्सव, 4 जैन धर्म में संथारा लेना भी मृत्यु प्राप्ति का एक साधन, 180 तन्त्रालोक, 63 तर्क द्वारा आत्मा को सिद्ध नहीं किया जा सकता, 130 तांत्रिक (श्याने), 181 तीर्थ श्राद्ध, 121 तुकाराम (सन्त), 45 तुलसी का वृक्ष, 164 तुलसीदास, (गोस्वामी) 7, 86, 175, 186 तैत्तिरीय संहिता, 116 तैत्तिरीयोपनिषद, 75 दण्डनीति (मिथिला के कवि), 168 दयानन्द (स्वामी), 66 दर्शन, 132
SR No.004376
Book TitleMrutyu ki Dastak
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBaidyanath Saraswati, Ramlakhan Maurya
PublisherD K Printworld Pvt Ltd, Nirmalkuar Bose Samarak Pratishthan
Publication Year2005
Total Pages220
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy