________________ 6.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमी विभागः पच्छम्माई / न य रसगेहिपसंगो इअ वुत्ते चोयगो भणइ // 613 // जइ पच्छकम्मदोसा हवंति मा चेव भुजऊ सययं / तवनियम-संजमाणं चोयग ! हाणी खमंतस्त // 614 // लित्तंति भाणिऊणं छम्मासा हायए चउत्थं तु / यायंबिलस्स गहणं असंथरे अप्पलेवं तु // 615 // आयंबिल-पारणए छम्मास निरंतरं तु खविऊणं / जइ न तरइ छम्मासे एगदिणूणं तयो कुणउ // 616 // एवं एकेकदिणं यायंबिलपारणं खवेऊणं / दिवसे दिवसे गिराहउ थायंबिलमेव निल्लेवं / / 617 // जइ से न जोगहाणी संपइ एसे व होइ तो खमयो / खमणंतरेण पायंबिलं तु निययं कुणइ // 618 // हेटावणि कोसलगा सोवीरग कूरभोईणो मणुया / जइ तेऽवि जति तहा किं नाम जई न जाविति ? // 611 // तिय सीयं समणाणं तिय उराह गिहीण तेणऽणुन्नायं / तकाईणं गहणं कट्टरमाईसु भइयव्वं // 620 // थाहार उवहि सेजा तिरिणवि उराहा गिहीण सीएऽवि / नेण उ जीरइ तेसिं दुहयो उसिणेण आहारो॥ 621 // एयाई चिय तिन्निवि जईण सीयाइं होंति गिम्हेवि / तेणुव हम्मइ अग्गी तयो य दोसा अजीराई . // 622 // योयण मंडग सत्तुग कुम्मासा रायमास कल वल्ला / त्यरि मसूर मुग्गा मासा य अलेवडा सुका // 623 // उभिज पिज-वंगू तक्कोलण-सूवर्कजि-कढियाई / एए उ अप्पलेवा पच्छाकम्म तहिं भयं // 624 // खीर दहि जाउ कट्टर तेल घयं फाणियं सपिंडरसं / इच्चाई बहुलेवं पच्छाकम्मं तहिं नियमा // 625 // संसट्टेयर हत्थो मत्तोऽविय दव्य सावसेसियरं। एएसु अट्ठ भंगा नियमा गहणं तु श्रोएसु // 626 // सञ्चित्त अचित्ते मीसग तह छड्डणे य चउभंगो। चउभंगो पडिसेहो गहणे श्राणाइणो दोसा // 627 // उसिणस्स छड्डणे देतो व डझेझ कायदाहो वा / सीयपडणमि काया पडिए महुबिंदु-बाहरणं // 628 ॥णामं ठवणा दविए भावे घासेसणा मुणेयव्वा / दव्वे मच्छाहरणं भावंमि य होइ पंचविहां // 626 //