________________ श्रीपिण्डनियुक्ति सचित्ते अचित्ते मीसग साहारणे य चउभंगो। श्राइतिए पडिसेहो चरिमे भंगंमि भयणा उ // 563 // जह चेव उ निक्खिते संजोगा चेव होंति भंगा य / तह चेत्र उ साहरणे नाणतमिणं तइयभंगे // 564 // मत्तेण जेण दाहिद तत्थ अदिज्जं तु होज असणाई / छोड तयन्नहिं तेणं देई अह होइ साहरणं // 565 // भूमाइएसु ते पुण साहरणं होइ सुवि काएसु / जं तं दुहा अचित्तं साहरणं तत्थ चउभंगो॥ 566 // सुक्के सुक्क पदमो सुक्के उल्लं तु बिइययो भंगो। उल्ले सुक्कं तइयो उल्ले उल्लं चउत्थो उ // 567 // एक्ककक चउभंगो सुकाईएसु चउसु भंगेसु / थोवे थोवं थोवे बहुँ च विवरीय दो अन्ने // 568 // जत्थ उ थोवे थोवं सुक्के उल्लं च छुहह तं गेझ(मभं) / जइ तं तु समुक्खेउं थोवाभारं दलइ अन्नं // 561 / उक्खेवे निक्खेवे महल्लभाणं मे लुद्ध वह डाहो / अचियत्तं वोच्छेत्रो छक्कायवहो य गुरुमत्ते // 570 // थोवे थोवं छूटं सुक्के उल्लं तु तं तु पाइन्न / बहुयं तु अणाइन्नं कडदोसो सोत्ति काऊणं // 571 // बाले' वुड्ढे” भत्ते' उम्मने वेविरे य जरिए य / अंधिलए पगरिए प्रारूढे पाउहाहिं च // 572 // "हत्थिदुनियलबद्धे "विवजिए"चेव हत्थपाएहिं / तेरासि" गुम्विणी" बालवच्छ" भुजंति" घुसुलिती" // 573 // भज्जंतीय दलंती" कंडती चेत्र तह य पीसंती" / पीजंतीचंती कत्तंति" पमद्दमाणी" य // 574 // छक्कायवग्गहरथा समणट्ठा निक्खिवित्तु ते चेव / ते चेवोगाईती८ "संघट्टताऽऽभंती य // 575 // संसत्तेण य दवेण लित्तहत्या" य लित्तमता" य / उव्यत्तती" साहारणं व दिती" य चोरिययं" / / 576 // पाहुडियं च ठेवंती" सानवाया" परं च उद्दिस्स। "श्राभोगमणाभोगेण दलंती वजणिज्जा ए // 577 // एएसि दायगाणं गहणं केसिंचि होइ भइयव्वं / केसिंची अग्गहणं तविवरीए भवे गहणं // 578 // कब्बढिग अप्पाहण दिन्ने अन्नन्न गहण पजतं / रतिय मग्ग