________________ 72 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो विभागः हिज्जे लोर दाणपडागं हरह दितो // 441 // पाएण देइ लोगो उवगारिसु परिचिएसुज्झुसिए वा / जो पुण श्रद्धाखिन्नं अतिहिं पूएइ तं दाणं // 45 // अवि नाम होज सुलभो गोणाईणं तणाइ श्राहारो। छिच्छिकारहयाणं न हु सुलहो होइ सुणहा(गा)णं // 451 // केलासभवणा एए, आगया गुन्झगा महिं / चरंति जक्खरूवेणं, पुयाऽपूया हियाऽहिया // 452 // एएण मन्झ भावो दिवो लोर पणामहेमि / एक्केके पुवुत्ता भगपंताइणो दोसा / / 453 // एमेव कागमाई साणग्गहणेण सूइया होति / जो वा जंमि पसत्तो वणइ तहिं पुटपुट्ठो वा // 454 // दाणं न होइ अफलं पत्तमपत्तेसु सनिजुज्जंतं / इय विभणिएवि दोसा पसंसयो किं पुण अपत्ते ? // 455 // भगइ य नाहं वेजो ग्रयाऽवि कहेइ अपणो किरियं / ब्रह्मावि विजपाए तिविह तिगिच्छा मुणेयया // 456 // भिक्खाइ गयो रोगी किं विजोऽहंति पुच्छियो भणइ / अत्थावत्तीऍ कया अबुहाणं बोहणा एवं // 457 // एरिसयं चिय दुक्खं भेसज्जेण अमुगेण पउणं मे / सहसुप्पन्न व रुयं वारेमो अट्ठमाईहिं // 458 // संसोधण संसमणं नियाणपरिवजणं च जं तत्थ / श्रागंतु धाउखोभे य ग्रामए कुणइ किरियं तु // 456 // अस्संजम जोगाणं पसंधणं कायघाय अयगोलो / दुबलवग्याहरणं यचुदये गिराहणुड्डाहे // 460 // हत्यकप्प गिरिफुल्लिय रायगिहं खलु तहेव चंपा य। कडधयपुन्ने इट्टग लड्डुग तह सीहकेसरए / / 461 // विजातयप्पभावं रायकुले वाऽवि वल्लभते से / नाउं ओरस्तबलं जो लगभइ (देइ भया) कोहपिंडो सो // 462 // अन्नेसि दिनमाणे जायंतो वा अलद्धियो कुप्पे / कोहफलंमिऽवि दिढे जो लब्भइ कोहपिंडो सो // 463 / / करडुय-भत्तमलद्ध अनहिं दाहित्य एव वच्चंतो / थेरो भो पण तइए बाइक्खण खामणा दाणे // 464 // उच्छाहियो परेण व लद्धिपसंसाहिं वा समुत्तइयो / अवमाणिो परेण य जो एसइ माणपिंडो सो // 465 // इट्ठगणमि परिपिंडि.