________________ [66 श्रीपिकडनियुक्ति थाउभए तत्थिमं नायं // 435 // लाभा लाभं सुहं दुक्खं, जीवियं मरणं तहा। छबिहेवि निमित्तेउ, दोसा होंति इमे सुण // (10) पापिया निमितेण भोइणी भोइए चिरगयंमि / पुव्वभणिए कहं ते श्रागउ ? सट्ठो य वड. वाए // 436 // दूराभोयण एगागि यागयो परिणयस्स पचोणी / पुच्छा समणे कहणं साइयंकार सुमिणाई // 42 // कोवो वडवागभं च पुच्छियो पंचपुंडमाइंसु / फालणदि8 जइ नेव तो तुहं अवितहं कह वा // 43 // (भा०) जाई कुल गण कम्मे सिप्पे श्राजीवणा उ पंचविहा / सूयाएँ असूयाएँ व अपाण कहेहि एक्केक्के // 437 // जाईकुले विभाप्ता गणो उ मलाइ कम्म किसिमाई / सिप्पऽणावजगं च कमेयराऽऽवज्ज // 438 // होमायवितहकरणे नजद जह सो तयस्स पुत्तोत्ति / वसियो वेम गुरुङ ले थायरियगुणे व सूण्इ // 436 // सम्ममसम्मा किरिया अणेण ऊणाहिया व विवरीया / समिहामंता-हुइठाण जागकाले य घोसाई // 440 // उग्गाइकुलेसुवि एवमेव गणे मंडलप्पवेसाई / देउल-दरिसणभासा-उघणयणे दंडमाईया // 441 // कत्तरि पयोणावेक्ख-वत्थु-बहुवित्थरेसु एमेव / कम्मेसु य सिप्पेसु य सम्ममसम्मेसु सूईयरा // 42 // समणे माहणि किवणे अतिही साणे य होइ पंचमए / वणि जायणत्ति वणियो पायपाणं वणे इत्ते // 443 // मयमाइवच्छगंपिव वणेइ याहा'माइलोभेणं / समणेसु माहणेसु य किविणातिहिसाणभत्तेसु // 444 // निग्गंथ सक्क तावस गेरुय श्राजीव पंचहा समणा / तेसि परिवेसणाए लोभेण वणिज को अप्पं ? // 445 // भुजंति चित्तकम्न-ठिया व कारुणिय दाणरुइणो वा / अवि कामगदहेसुवि न नसई किं पुण जईसु ? // 446 // मिच्छत्त-थिरीकरणं उग्गमदोसाय तेसु वा गच्छे / चडुकारऽदिन्नदाणा पञ्चत्थिग मा पुणो इंतु // 447 // लोयाणुग्गह-कारिसु भूमीदेवेसु बहुफलं दाणं / अवि नाम बंभबंधुसु किं पुण छक्कम्मनिरएसु ? // 448 // किवणेसु दुम्मणे(बले)सु य प्रबंधवायंक-जुगियंगेसु। पूया