________________ श्रीपिण्डनियुक्तिः ] [ 67 दबंमि होइ तिविहा भावंमि उ सोलसपया उ॥ 404 // श्रासूयमाइएहिं वाल चेय-तुरंग बीयमाईहिं / सुययासदुमाईणं उप्पायणया उ सचित्ता // 405 // कणग-रयपाइयाणं जहे?-धाउविहिया उ अचित्ता / मीसा उ सभंडाणं दुपयाकया उ उप्पत्ती // 406 // भावे पसत्थ इयरो कोहाउप्पायणा उ अपसत्था / कोहाइजुया धायाइणं च नाणाइ उ पसत्था // 407 / / धाई दुइ निमित्ते ग्राजीव वणीमगे तिगिच्छा य / कोहे माणे माया लोभे य हवंति दस एए // 408 // पुब्बि-पच्छा-संथव विजा मते य चुन्न जोगे य / उप्पावणाइ दोसा सोलसमे मूलकम्मे य॥ 401 // खीरे य मजणे मंडणे य कीलावणंकधाई य / एक्कावि य दुविहा करणे कारावणे चेव // 410 // धारेइ धीयए वा धयंति वा तमिति तेण धाई उ / जहविहां यासि पुरा खीराई पंच धाईयो // 411 / / खीराहारो रोवइ मन्झ कयासाय देहि णं पिज्जे / पच्छा व मझ दाही प्रलं व भुजो व एहामि // 412 // मइमं अरोगे दीहाउयो य होइ अविमाणियो बालो। दुल्लभयं खु सुयमुहं पिजाहि अहं व से देमि // 413 // अहिगरण भइपंता कम्मुदय गिलाणए य उहाहो / चहुकारी य अवनो नियगो अन्नं च णं संके॥ 414 // अपमारो उ विकप्पो भिक्खायरि सड्डि अद्धिई पुच्छा / दुक्खसहाय विभासा हियं मे धाइत्तणं अज // 415 // वयगंडथुल्लत-णुपत्तणेहिं तं पुच्छिउं अयाणंतो / तत्थ गयो तस्समक्खं भणाइ तं पासिउं बालं // 16 // यहुणुट्ठियं व अणविक्खियं व इणमं कुलं तु मन्नामि / पुन्नेहिं जहिताए (जदिच्छाए) तरई बालेण सूएमो॥ 17 // थेरी दुबलखीरा चिमि(विवि)टो पेल्लियमुहो अइयणीए / तणुई उ मंदखीरा कुप्परथणियाएँ सूइमुहो // 418 // जा जेण होइ वन्नेण उकडा गरहए य तं तेणं / गरहइ समाण तिव्वं पसत्यमियरं च दुबन्नं // 411 // उवट्टिया परोसं छोभग उम्भामयो य से जं तु। होजा मज्झवि विग्यो विसाइ इयरीवि एमेव // 420 //