________________ 66 [ श्रीमदागमसुधासिन्धु त्रयोदशमो विभागः न कप्पई सेसं // 31 // छिन्नंमि तयो उक्कट्ठियमि कप्पड पिहीकए सेसं / थाहावणाए दिन्नं च तत्तियं कप्पए सेमं // 311 // एसो सोलसभेयो, दुहा कीरई उग्गमो / एगो विसोहिकोडी, अविसोही उ चावरा // 312 // श्राहाकम्मुद्दे सिय चरमतिगं पूइ मीसजाए य / बायरसाहुडियावि य अझोयरए य चरिमदुगं // 313 // उग्गमकोडी अवयव लेवालेवे य अकयए कप्पे / कंजिय-यायानग-चाउलोय-संसठ्ठ-पूईयो // 364 // सुक्केणऽवि जं छिपकं तु असुइणा धोवए जहा लोए / इह सुक्केणऽवि छिवकं धोवइ कमेण भाणं तु॥ 37 // लेवालेवत्ति जं वुत्तं, जैपि दव्यमलेवडं / तंपि घेत्तु ण कम्पति, नक्काइ किमु लेवडं ? // 38 // याहाय जं कीरइ तं तु कम्म, वज्जेहिही योयणमेगमेव / सोवीर यायामग चाउलो वा, कम्मति तो तग्गहणं करेंति // 31 // (भा०) सेसा विसोहिकोडी भत्तं पाणं विगिंच जहसत्ति / श्रणलक्खिय मीसदवे सवश्वेिगेऽवयव सुद्धो // 365 // दव्वाइयो विवेगो दवे जं दब जं जहिं खेत्ते / काले अकालहीणं अनदो जं पस्सई भावे // 316 // सुकोलसरिसपाए अप्सरिसपाए य एत्य चउभंगो। तुल्ले तुल्लनिवाए तत्थ दुवे दोन्नतुल्ला उ॥ 317 // सुक्के सुरकं पव्यिं विगिंचिउं होइ तं सुहं पढमो / बीयंमि दवं चोटु गालंति दवं करं दाउं // 398 // तइयंमि करं छोडं उल्लिंचइ श्रोयणाइ जं तरह। दुल्लहदव्वं चरिमे तत्तियमित्तं विगिचंति // 311 // संयरे सधमुझंति उभंगो असंथरे / असतो सुझई जे(ते), मायावी जेसु झई // 400 // कोडीकरणं दुविहं उग्गमकोडी विसोहिकोडी य / उग्गमकोडी छक्कं विसोहिकोडी अणेगविहा // 401 // नव चेव अढारसगं सत्तावीसा तहेव चउपना / नउई दो चेव सया उ सत्तरी होइ कोडीणं // 402 // सोलस उग्गमदोसे गिहिणो उ समुट्ठिए वियाणाहि / उप्पायणाएँ दोसे साहूउ समुट्ठिए जाण // 403 // णामं ठवणा दविए भावे उपायणा मुणेयबा /