________________ [ श्रीमदागमसुधासन्धुः // त्रये.दशमो विभागः जलखउरियसरीरं / जुगमेत्ततर-दि&ि अतुरियचवलं सगिहमितं // 212 // दळूण य अणगारं सड्डी संवेगमोगमा काई / विपुलज्नपाण घेत्तूण निग्गया निग्गयो सोऽवि // 213 // नीयदुवारंमि घरे न सुझई एसणत्तिकाऊणं / नीहमिए अगारी अच्छइ विलिया वऽगहिएणं // 21 // चरणकरणालसंमि य अन्नंमि य यागए गहिय पुच्छा। इहलोगं परलोगं कहेइ चइउं इमं लोगं / / 215 // नीयदुवारंमि घरे भिक्खं निच्छंति एसणासमिया / जं पुच्छसि मज्म कहं कप्पइ ? लिंगोवजीवीऽहं // 216 // साहुगुणेसणकहणं श्राउट्टा तमि तिप्पइ तहेव / कुक्कुडि चरंति एए वयं तु चिनम्बया बीयो // 217 // पायोकरणं दुविहं पागडकरणं पगातकरणं च / पागड संकामग कुड्डदारपार य छिन्ने व // 298 // रयणपईवे जोई न कप्पइ पगासणा सुविहिवाणं / अतट्टि पारिभुत्तं कप्पइ कप्पं यकाऊणं // 211 // संचारिमा य चुल्ली बहिं व चुल्ली पुरा कया तेसि / तहि रंधति कयाई उवही पूई य पायो य // 30 // नेच्छह तमिसंमि तयो बाहिरचुली' साहु सिद्धराणे / इस सोउं परिहरए पुढे सिट्टामिवि तहेव // 301 // मच्छियपग्मा अंतो बाहि पवायं पगासमासन्नं / इस अत्तट्ठियगहणं पागडकरणे विभासेयं // 302 // कुस्स कुणइ छिड्ड दारं वड्ढेइ कुणइ अन्नं वा / अवणेइ छायणं वा ठगवइ रयणं व दिपंतं // 303 // जोइ पइवं कुणइ व तहेव कहणं तु पुढे दु? वा / अत्तट्ठिए उ गहणं जोइ पईवे उ वजित्ता // 304 // पागड-पयासकरणे कयंमि सहसा व अहवऽणाभोगा / गहियं विगिचिऊणं गेराहइ अन्नं अकयकप्पे // 305 // कीयगडंपि य दुविहं दव्वे भावे य दुविहमेक्केक्कं / पायकियं च परकियं परदव्वं तिविह चित्ताई / / 306 // श्रायकियं पुण दुविहं दवे भावे य दव चुन्नाई। भावंमि परस्सष्टा अहवावी अप्पणा चेव // 307aa निम्मल-गंधगुलिया-वनय पोत्ताइ आयक्य-दव्वे / गेलन्ने उड्डाहो पउणे चड्डुगारि अहिगरणं // 308 // वइयाइ मंखमाई परभावकयं