________________ श्रीपिनियु]ि ... .. [ 8 भायणं पिढरे / सट्ठाणहाणंमि य भायणठाणे य चउभंगो॥ 34 // (भा०) छब्बग-वारगमाई होइ परट्ठाणमो वऽणेगविहं / सट्ठाणे पिढरे छब्बगे य एमेव दूरे य // 278 // एक्केवकं तं दुविहं अणंतर परंपरे य नायव्वं / यविकारि कयं दव्वं तं चेव अणंतरं होइ // 271 // उच्छुक्खीराईयं विगारि विगारि घयगुलाईयं / परियावजणदोसा श्रोयणदहिमाइयं वावि // 280 // उभट्ठपरिन्नायं अन्नं लद्धं पयोपणे घेथी / रिणभीया व अंगारा दहित्ति दाहं सुए वणा // 281 // नवणीय मंथुतकं व जाव अत्तट्ठिया व गिराहति / देसूणा जाव घयं कुसणंपि य जत्तियं कालं // 282 // रम ककवपिंडगुला मच्छंडिय-खंडसकराणं च / होइ परंपरठवणा अन्नत्य व जुज्जए जत्थ // 283 // भिवखागाही कुणाइ विइयो उ दोसु उयोगं / तेण परं उविखत्ता पाहुडिया होइ ठवणा उ // 284 // पाहुडि. यावि हु दुविहा बायर सुहुमा य होइ नायब्बा / योसकणमुस्सकण कबट्टीए समोलरणे // 285 // कन्तामि ताव पेलु तो ते दाहामि पुत्त ! मा रोव / तं जइ सुणेइ साह न गच्छए तत्थ ग्रारंभो // 35 // अनट उठ्ठिया वा तुभवि दमित्ति, किंपि परिहरति / किह दाणि न उद्विहिसो ? साहुपभावेण लभामो // 36 // (भा०) मा ताव झंख पुत्तय ! परिवाडीए इहेहि सो साहू / एयस्स उठ्ठिया ते दाहं सोउं विवज्जेइ // 286 // अहवा-अंगुलियाए घेत्तु कड्ड कप्पट्टयो घरं जत्तो। किति कहिए न गच्छइ पाहुडिया एस सुहुमा उ॥२८७॥ पुत्तस्स विवाहदिणं योसरणे यइच्छिए मुणिय सड्डी / योसवकतोसरणे संखडि-पाहेणग दवट्ठा // 288 // अप्पत्तमि य ठवियं ओसरणे होहि. इत्ति उस्सकणं / तं पागडमियरं वा करेइ उज्जू यणंउजू वा // 28 // मंगलहेडं पुन्नट्ठया व योसक्कियं दुहा पगये। उस्सक्कियपि किंति य पु? सिट्टे विवज्जति // 210 // पाहुडिभत्तं भुजइ न पडिकमए अ तस्स ठाणस्त / एमेव अडइ बोडो लुकविलुको जह कवोडो // 211 // लोयविरलुत्तमंगं तवोकिसं