________________ श्रीपिण्डनियुक्तिः ] ....... [ 57 दव्वपूइत्ति // 244 // गोहिनिउत्तो धम्मी सहाएँ अासन्न-गोष्ठिभत्ताए। समियसुर-वल्लमीसं अजिन्न सन्ना महिसिपोहो // 245 // संजाय-लित्तभत्ते गोटिग-गंधोत्ति व(चु)लवणियायो / उक्खणिय अन्नछगणेण लिंपणं दवपूई उऊ // 246 // उग्गमकोडि-अवयवमित्तेणवि मीसियं सुसुद्धपि / सुद्धंपि कुणइ चरणं पूइं तं भावयो पूई // 247 // श्राहाकम्मुद्दसिय मीसं तह बायरा य पाहुडिया। पूई अज्मोयरो उग्गमकोडी भवे एसा // 248 // वायर सुहुमं भावे उ पूइयं सुहुममुवरि वोच्छामि / उवगरण भत्तपाणे दुविहं पुण बायरं पुई // 246 // चुल्लक्खलिया डोए दव्वीछूढे य मीसगं पूई / डाए लोणे हिंगू संकामण फोडणे धूमे // 250 // सिझतस्सुवयारं दिजं. तस्स व करेइ जं दत्वं / तं उपकरणं चुल्ली उवखा दब्बी य डोयाई // 25 // चुल्लुक्खा कम्माई बाइमभंगेसु तीसवि अकप्पं / पडिकुटुं तत्थत्थं अन्नत्थगयं अणुनायं / / 252 / / कम्मिय-कद्दममिस्सा चुल्ली उक्खा य फड्डगजुया उ। उवगरणपइंग्यं डोए दंडे व एगयरे // 253 // दबीछूटेत्ति जं वुत्तं, कम्मदबीएँ जं दए। कामं घट्टिय सुद्धं तु, घट्टए(घट्ट) थाहारपूइयं // 254 // अत्तट्टिय यायाणे डायं लोणं च कम्म हिंगु वा। तं भत्तपाणपूई फोडण अन्न व जं छुहइ // 255 // संकामेउं कम्मं सिद्धं जंकिंचि तत्थ छूटं वा / यंगारधूमि थाली वेपण हेट्ठा मुणीहि (कम्मियवेसण अंगारथाली हेटा मुही) इमो / / 256 // इंधणधूमे गंधे अवयवमाईहिं सुहुमपूई उ / सुदरमेयं पूई चोयग भरि ए गुरू भणइ // 257 // इंधनधूमेगंधेअवयवमाई न पूइयं होइ / जेसि तु एस पूई सोही नवि विजए तेसि // 258 // इंधनगणीअवयव धूमो बप्फो य अन्नगंधो य / सव्वं फुसंति लोयं भन्नइ सव्वं तो पूई // 251 // नणु सुहूमपूइयस्सा पुबुद्धिट्टस्सऽसंभवो एवं / इंधणधूमाईहिं तम्हा पूइत्ति सिद्धमिणं // 260 // चोयग ! इंधणमाईहिं चउहिवी सुहुमपू. इयं होइ / पनवणामित्तमियं परिहरणा नत्थि एयस्स // 261 // सज्ममसम