________________ गढ़ बहुताण नेयं / नाई पदम 50 [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / त्रयोदशमो विभाग // 128 // पाहा अहे य कम्मे यायाहम्मे य अत्तकम्मे य / जह वंजणनाणतं प्रत्येणऽवि पुच्छए एवं // 12 // एगट्ठा एगवंजण एगट्ठा नाणवंजणा चेव / नागढ़ एगवं नण नाणट्ठा वंजणानाणा // 130 // दिटुंखीरं खीरं एगढ़ एगवंजणं लोए / एगट्ठ बहुनामं दुद्र पयो पीलु खीरं च // 131 // गोमहिमियाखीरं नाणटुं एगवंजणं नेयं / घडपड-सगडरहाई होइ पिहत्थं पिहनामं / / 132 // याहाकम्माईणं होइ दुरुत्ताइं पढमभंगो उ। याहाहेकम्मति य विइयो सकिंद इव भंगो॥ 133 // श्राहाकम्मतरिया असणाई उ चउरो तइयभंगो। याहाकम्म पडुच्चा नियमा सुन्नो चरिमभंगों // 134 // इंदत्यं जह सदा पुरंदरगाई उ नाइवत्तते / ग्रहकम्म बायहम्मा तह याहं नाइवत्तंते // 135 // याहाकम्मेण अहेकरेति जं हणइ पाणभूयाई / जं तं श्राययमाणो परकम्मं यत्तणो कुणइ // 136 // कस्सत्ति पुच्छियंमी नियमा साहम्मियस्स तं होइ / साहम्मियस्स तम्हा कायव्व परूवणा विहिणा (परूवणं तस्स वोच्छामि) // 137 // नाम ठवणा दविए खेत्ते काले श्र पवयणे लिंगे। दंसण-नाण चरिते अभिग्गहे भावणायो य॥ 138 / नाममि सरिसनामो ठषणाए कट्टकम्ममाईया / दव्वंमि जो उ भवियो साहमि सरीरगं चेव // 131 // खेते समाणदेसी कालंमि समाणकालसंभूयो / पवयणि संधेगयरो लिंगे रयहरणमुहपोत्ती ॥१४०॥दसण नाणे चरणे तिग पण पण तिविह होइ उ चरित्ते / दवाइयो अभिग्गह अहभावणमो अणिबाई // 141 // जावंत देवदत्ता गिहीव अगिहीर तेसि दाहामि / नो कप्पई गिहीणं दाहंति विसेसिये कप्पे // 142 // पासंडीसुवि एवं मीसामीसेसु होइ हु विभासा / समणेसु संजयाण उ विसरिसनामाणवि न कप्पे // 143 // नीसमनीप्ता व कडं ठपणासाहम्मिपम्मि उ विभासा / दवे मयतणुभत्तं न तंतु कुन्छा विवज्जेजा // 144 // पासंडिय-समणाणं गिहिनिग्गंथाण व उ विभासा / जह नामंमि तहेव य खेते काले य नायव्वं // 145 // दस