________________ 18] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो विभागा भारेणं / सीईए रज्जुएण व भोयरणं दबाहेकम्मं // 18 // संजमठाणाणं कंडगाण लेसाठिई-विसेसाणं / भा अहे करेंई तम्हा तं भावऽहेकम्मं // 16 // तत्याणंता उ चरितपजवा होंति संजमाणं / संखाईयाणि उ ताणि कंडगं होइ नायब्वं // 28 // संखाईयाणि उ कंडगाणि छट्ठाणगं विणिदिट्ठ। छट्ठाणा असंखा संजमसेढी मुणेयव्वा // 26 // किराहाइया उ लेसा उकोसविसुद्धिठिइविसेमायो / एएसि विसुद्धाणं अप्पं तग्गाहगो कुगाइ // 30 // (भा०) भावावयार-माहेउ-मप्पगे किंचिनूण-चरणग्गो / याहाकम्मग्गाही ग्रहो ग्रहो नेइ अप्पाणं ॥१००॥बंधइ अहेभवाउ पकरेइ ग्रहोमुहाई कम्माई घणकरणं तिब्वेण उ भावेण चयो उवयो य॥१०१॥तेसिं गुरूणमुदएण अप्पगं दुग्गईऍ पवडतं / न चएइ विधारेउं अहरगति निति कम्माई // 102 // अट्ठाए अणद्वार छकायपमदणं तु जो कुणइ / अनियाए य दियाए अायाहम्मं तयं वेति // 103 // जाणंतु अजाणतो तहेव उ(नि)दिसिय श्रोहयो वावि / जाणगं अजाणगं वा वहइ अनिया निया एसा // 31 // (भा०) दव्वाया खलु काया, भाशया तिन्नि नाणमाईणि / परपाण-पाडण, रयो चरणायं अपणो हणइ // 104 // निच्छयनयस्त चरणा-यविघाए नाणदंसणवहोऽवि / ववहारस्स उ चरणे हयंमि भयणा उ सेसाणं // 105 // दव्वंमि अत्तकम्मं जं जो उ ममायए तयं दव्यं / भावे असुहपरिणयो परकम्मं अत्तणो कुणइ // 106 // श्राहाकम्मपरिणयो फासुरमवि संकिलिट्ठपरिणामो / थाययमाणो बज्मइ तं जाणसु अत्तकम्मन्ति // 107 // परकम्म यत्तकम्मीकरेइ तं जो उ गिरािहउं भुजे / तत्थ भवे परकिरिया कहं नु अनत्थ संकमइ ? // 108 // कूडउवमाइ केइ परप्पउत्तऽवि ३ति बंधोति / भणइ य गुरू पमत्तो बन्झइ कूडे अदक्खो य॥ 10 // एमेव भावकूडे बज्मइ जो असुभभाव-परिणामो / तम्हा उ असुभभावो वज्जेको पयत्तेणं // 110 // कामं सयं न कुव्वइ जाणतो पुण तहावि तग्गाही / वड्ढेइ तप्पसंगं अगि