________________ आपिण्डनियुक्तिः [47 नलवणा / अनयावि झांति हदा (झरा) न य एवं बहुप्रोदगा // 84 / / उग्गम उग्गोवण मग्गणा य एगट्ठियाणि एयाणि / नाम ठवणा दविए भावंमि य उग्गमो होइ // 85 // दव्वंमि लड्डुगाई भावे तिविहोग्गमो मुणेयबो / दसणनाणचरिते चरित्तुग्गमेणेत्थ अहिगारो॥८६ // जोइसतणासहीणं मेहरिणकराणमुग्गमो दव्वे / सो पुण जत्तो य जया जहा य दबुग्गमो वच्चो / / 87 // वासहरा अणुजत्ता अत्थाणी जोग्ग किड्काले य / घडगसरावेसु कया उ मोयगा लड्डुगपियस्स // 88 // जोग्गा अजिराण मारुय निसग्ग तिसमुत्थ तो सुइसमुत्थों। श्राहारुग्गमचिंता असुइत्ति दुहा मलप्पभवो // 81 // तस्सेवं वेरग्गुग्गमेण सम्मत्त-नाणचरणाणं / जुगवं कमुग्गमो वा केवलनाणुग्गमो जायो // 10 // दंसणनाणप्पभवं चरणं सुद्धेसु तेसु तस्सुद्धी। वरणेण कम्मसुद्धी उग्गमसुद्धीइ चरणसुद्धी॥११॥ 'याहाकम्मुद्दे सिय पूईकम्मे य' मीसजाए य / वणा' पाहुडियाए" पायोयर कीय पामिच्चे // 12 // परियट्टिए"अभिहडे 'उन्भिन्ने मालो. हडे' इय / श्रच्छिज्जे"अणिसि?" अझोयरए“य सोलसमे // 13 // श्राहाकम्मियनामा एगट्ठा कस्स वावि किं वावि ? / परपरखे य सपवखे चउरो गहणे य ग्राणाई // 14 // श्राहा अहे य कम्मे पायाहम्मे य अत्तकम्मे य / पडिसेषण पडिसुणणा संवासऽणुमोयणा चेव // 15 // धणुजुय. कायभराणं कुडुंबरजधुर-माझ्याणं च / खंधाई हिययं चिय दबाहा अंतए धणुणो॥ 16 // योरालसरीराणं उद्दवण तिवायणं च जस्सट्ठा। मणमाहित्ता कीरइ याहाकम्मं तयं बेति // 17 // पोरालग्गहणेणं तिरिक्ख-मणुयाऽहवा सुहुमवजा / उद्दवणं पुण जाणसु अइवाय विवजियं पीडं // 25 // कायवइमणो तिनि उ अहवा देहाउ-इंदियप्पाणा / सामित्तावायाणे होइ तिवायो य करणेसु॥२६॥हिययंमि समाहेउं एगमणेगं च गाहगं जो उ। वहणं करेइ दाया कायेण तमाह कम्मति // 27 // (भा०) जं दवं उदगाइसु छूढमहे वयइ जं च