________________ 56 ) [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / / त्रयोदशमो विमागः पसस्थएगिहं पगयं / उच्चारियस्थ-सरिसा सीसमइ(ससाउ)विकोवणट्ठाए // 67 // याहारउवहि-सेज्जा पसत्थ पिंडस्सुवग्गहं कुणइ। श्राहारे अहिगारो अट्टहिं ठाणेहिं सो सुद्धो॥६८ // निव्वाणं खलु कजं नाणाइतिगंच कारणं तस्स / नियाकारणाणं च कारणं होइ अाहारो॥ 61 ॥जह कारणं तु तंतू पडस्स तेसिं च होंति पम्हाई / नाणाइतिगरसेवं श्राहारो मोक्खने(नि)मस्स // 70 // जह कारणमणुवहयं कज्जं साहेइ अविकलं नियमा / मोक्खक्खमाणि एवं नाणाईणि उ अविगलाई // 71 // संखेवपिडियाथो एवं पिंडो मए समक्खायो / फुडवियड-पायडत्थं वोच्छामी एसणं एत्तो // 72 // एसण गवेसणा मग्गणा य उग्गोवणा य बोद्धव्वा / एए उ एसणाए नामा एगट्ठिया होति // 73 // नामं ठवणा दविए भावंमि य एसणा मुणेयवा / दवे भावे एक्केकया उ तिविहा मुणेयव्वा // 74 // जम्म एमइ एगो सुवस्स अन्नो तमेसए नटुं / सत्तुं एसइ अन्नो पएण अन्नो य से मच्चु॥७५ // एमेव सेसएसुवि चउप्पयापय-अचित्तमीसेसु / जा जत्थ जुज्जए एसणा उ तं तत्थ जोएजा // 76 // भावेसणा उ तिविहा गवेस-गहणेसणा उ बोद्धबा। गासेसणा उ कमसो पन्नत्ता वीयरागेहिं // 77 // अगविट्ठस्त उ गहणं न होइ न य अगहियस्स परिभोगो / एसणतिगस्स एसा नायब्बा श्राणु पुब्बी उ / / 78 // नामं ठवणा दविए भावंमि गवसणा मुणेयब्वा / दव्वमि कुरंगगया उग्गम-उप्पायणा भावे // 79 // जियसत्तु देवि चित्तसभ-पविसणं कणगपिट्ठ-पासण्या / दोहल-दुटबल-पुच्छा कहणं प्राणा य पुरिसाणं // 80 // सीवन्निसरिसमोयग-ठव(कर)णं सीवनिरुवखहेतु सु / श्रागमण कुरंगाणं पसत्थ अपसस्थ उवमा उ // 81 // विइग्रमेयं कुरंगाणं, जया, सीवन्नि सीयइ / पुरावि वाया वायंता, न उणं पुंजकपुंजका // 82 // हस्थिगहणं गिम्हे अरहट्टोहिं भरणं च सरसीणं / अच्चुदएण नलवणाअहिं. (आ)रूढा गयकुलागमणं // 83 // विइयमेयं गजबुलाणं, जया रोहंति