________________ श्रीपिण्डनियुक्तिः ] [43 य // 24 // अइभार चुडण पणए सीयल-पाउरण जीरगे लराणे / योहारणकायरहो वासासु अधोवणे दोसा // 25 // अप्पत्तेच्चिय वासे सव्वं उवहिं धुवंति जयाणाए। यसइए उ दवस्त य जहन्नयो पायनिजोगो // 26 // यायरिय गिलाणाण य मइला मइला पुणोऽवि धोवंति।मा हु गुरुण अवराणो लोगंमि ग्रजीरणां इयरे // 27 // पायस्स पडोयारो दुनिसिज तिपट्ट पोत्ति रयहरणं / एए उ न वीसामे जयणा संकामणा धुवणं // 28 // पायस्स पडोयारो पत्तगवज्जो य पायनिजोगो। दोनि निसिज्जायो पुण अम्भितर बाहिरा चेव // 8 // संथारुत्त-चोलग-पट्टातिन्नि उ हवंति नायव्या / मुहपोत्तियत्ति पोनी एगनिसेज्जं च रयहरणं / 6 // एए उ न वीसामे पइदिणमुवयोगयो य जयणाए। संकामिऊण धोवंति छप्पइया तत्थ विहिणा उ // 10 // (भाष्यम्) / जो पुण वीसामिजइ तं एवं वीयराययाणाए। पत्ते धोरणवाले उहि वीसामए साहू // 21 // अभितरपरिभोगं उवरि पाउणइ नाइदूरे य / तिन्नि य तिन्नि य एगं निसिं तु काऊं परिच्छिज्जा // 30 // धोवत्थं तिन दिणे उवरिं पाउणइ तह य यासन्नं / धारेइ तिन्नि दियहे एगदिणं उवरि लतं // 11 // (भा०) केई एक्केकनिसि संवासेउं तिहा परिच्छंति / पाऊगइ जइ न लग्गति छप्पइया ताहि धोवंति // 31 // निव्वोदगस्स गहणं कई भागोसु असुइ पडिसेहो / गिहिभायणेसु गहणं ठिय वासे मीसगं छारो // 32 // गुरुपञ्चक्खाणि-गिलाण-सेहमाईण धोवणं पुःवं / तो अपणो पुःवमहाकडे य इयरे दुवे पच्छा // 33 // अच्छोडपि. हिणासु य न धुवे धोए पयावणं न करे। परिभोग अपरिभोगे छायायव पेह कलाणं // 34 // तिविहो तेउकायो सचित्तो मीसयो य अचित्तो। सचित्तो पुण दुविहो निच्छयववहारयो चेव // 35 // इट्टापागाईणं बहुमज्झे विज्जुमाइ निच्छ्ययो / इंगालाई इयरोत्ति मुम्मुरमाईउ मिस्सो उ // 36 // योयणवं. जगपाएग-अायानुसिणोदगं च कुम्मासा / डगल-गसरक्खसूई पिप्पलमाई उ