________________ रितपइ ॥२॥डावा पडियो हम आप नावयुष्माई था श्रीमदशकालिक-सूत्रम् / अध्ययनं . ] अट्ठारसमं पयं भवइ, भवइ अ इत्थ सिलोगो। जया य चाई धम्म, श्रणजो भोगकारणा / से तत्थ मुच्छिए बाले, श्रायई नावबुझई // 1 // जया योहावियो होइ, ईदो वा पडियो छमं / सव्व-धम्म-परिभट्ठो, स पच्छा परितप्पइ // 2 // जया अ वंदिमो होइ, पच्छा होइ अवंदिमो / देवया व चुया ठाणा, स पच्छा परितप्पइ // 3 // जया अ पूइमो होइ, पच्छा होइ अपइमो / राया व रज-पभट्ठो, स पच्छा परितप्पई // 4 // जया श्र माणिमो होइ, पच्छा होइ अमाणिमो / सिटिव्व कब्बडे छूढो, स पच्छा परितप्पई // 5 // जया श्र थेरथो होई, समझकंत-जुब्वणो / मच्छु ब्व गलं गिलित्ता, स पच्छा परितप्पई // 6 // जया य कु.कुटुंबस्स, कुतत्तीहिं विहम्मई / हन्थी व बंधणे बद्धो, स पच्छा परितप्पई // 7 // पुत्त-दार-परीकिन्नो, मोहसंताण-संतयो / पंकोसन्नो जहा नागो, स पच्छा परितप्पई // 8 // अज याहं गणी हुँतो, भाविअप्पा बहुस्सुयो / जइ हं रमतो परिश्राए, सामन्ने जिणदेसिए // 1 // देवलोगसमाणो य, परियायो महेसिणं / रयाणं अरयाणं च, महानरय-सारिसो // 10 // यमरोवमं जाणिय सुवखमुत्तमं, रयाण परियाइ तहाऽरयाणं / निरयोवमं जाणिय दुक्खमुत्तमं, रमिज तम्हा परियाइ पंडिए // 11 // धम्माउ भट्ठ सिरियो अवेयं, जन्नग्गि विभाय-मिवऽप्पतेयं / हीलंति णं दुब्बिहियं कुसीला, दाढुड्डियं घोरविसं व नागं // 12 // इहेबधम्मो अयसो अकित्ती, दुन्नामधिज्जं च पिहुजणंमि / चुअस्स धम्माउ अहम्मसेविणो, सभिन्नवित्तस्स य हिट्ठयो गइ // 13 // भुजित्तु भोगाइं पसज्झ चेयसा, तहाविहं कटु असंजमं बहुँ / गई च गच्छे अणहिभियं दुई, बोही असे नो सुलहा पुणो पुणो // 14 // इमस्त ता नेरईअस्स जंतुणो, दुहोवणीअस्स किलेसवत्तिणो / पलियोवमं झिजइ सागरोवमं, किमंग पुण मज्म इमं मणोदुहं // 15 // न मे चिरं दुक्खमिणं भविस्सइ, असासया भोग