________________ श्रीमद्दशवैकालिक-सूत्रम् :: अध्ययनं ] [ 35 सियं, तं न जले न जलावए जे स भिक्खू // 2 // अनिलेण न वीए न वीयावए, हरियाणि न छिन्दे न छिन्दावए / बीयाणि सया विवजयन्तो, सचित्तं नाहारए जे स भिक्खू // 3 // वहणं तस-थावराण होइ, पुढवि-तण कट्ट-निस्सियाणं / तम्हा उद्दसियं न भुजे, नो वि पए न पयावर जे स भिक्खू // 4 // रोईय-नायपुत्त-वयणे, अत्तसमे मन्नेज छप्पि काए। पंच य फासे महव्ययाई, पंचासव-संवरए जे स भिक्खू // 5 // चत्तारि वमे सया कसाए, धुवजोगी हविज बुद्धवयणे / ग्रहणे निजाय-रूवरयए, गिहिजोगं परिवजए जे स भिवरखू // 6 // सम्मबिट्ठि सया अमूढे, अस्थि हु नाणे तवे संजमे य। तवमा धुणई पुराण-पावगं, मण-वय-काय-सुसंवुडे जे स भिक्खू // 7 // तहव असणं पाणगं वा, विविहं खाइम-साइमं लभित्ता। होही अट्ठो सुए परे वा, तं न निहे निहावए जे स भिखू // 8 // तहेव असणं पाणगं वा, विविहं खाइम-साइमं लभित्ता / छन्दिय साहम्मिश्राण भुजे, भोचा-सज्झाय रए य जे स भिक्खू // 1 // न य वुग्गहियं कहं कहेजा, न य कुप्पे निहुइन्दिए पसन्ते / संजमे धुवं जोगेण जुत्ते, उवसन्ते अविहेडए जे स भिक्खू // 10 // जो सहइ हु गाम-कएटए, अकोस-पहार-तज्जणायो या भय-भेरव-सह-सप्पयासे, सम-सुह-दुक्ख सहे य जे स भिक्खू // 11 // पडिमं पडिवजिया मसाणे, नो भीयए भय भेरवाई दिग्रस्त / विविह गुण तवो-रए य निच्चं, न सरीरं चाभिकंखइ जे स भिवखू // 12 // असई वोसट्ठ-चत्त-देहे, अकुट्ट व हए व लूसिए वा / पुढवि-समे मुणी हविजा, अनियाणे यकोउहल्ले जे स भिवखू // 13 // थभिभूय कारण परीप्तहाई, समुद्धरे जाइ-पहायो अप्पयं / विईत्तु जाइ-मरणं मह भयं, तवे रए सामणिए जे स भिक्खू // 14 // हत्थ-संजए, पाय-संजए वाय-संजए संजइन्दिए / अझप्प रए सुसमाहियप्पा, सुत्तत्थं च वियाणइ जे स भिक्खू // 15 // उवहिम्मि यमुच्छिए अगिद्धे, अन्नाय उंछ पुल निप्पु. लाए / कय-विक्रय-सन्निहियो विरए, सव्व-संगारगए य जे स भिवखु // 16 //