________________ 32 ] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः / त्रयोदशमी चिमागः स्सुणे / मुत्तूणं यातणं धीरो, सुस्सूमाए पडिस्सुणे 1) कालं छन्दोवयारं च, पडिलेहिताण हेहिं / तेणं तेणं आएणं, तं तं संपडिवायए // 20 // विवत्ती अविणीयस्स, सम्पत्ती विणियस्स अ। जस्सेयं दुहयो नायं, सिक्खं से अभिगच्छई // 21 // जे प्रावि चराडे मई इडिट-गारवे, पिसुणे नरे साहस-हीणपेसणे / अदिट्ठ-धम्मे विणए अकोविए, असंविभागी न हु तस्स मुक्खो // 22 // नि सवत्ती पुण जे गुरूणं, सुयत्थ-धम्मा विणयम्मि कोविया / तरितु ते योहमिणं दुरुत्तरं, खवित्तु कम्मं गइमुत्तमं गय // ति बेमि // 23 // // इति नवमाध्ययने द्वितीय उद्देशकः / / 9-2 / / // // अथ नवमाध्ययने :: तृतीय उद्देशकः // पायरियं अग्गि-मिवाहिअग्गी, सुस्सूममाणो पडिज.ग.रेजा। बालोईयं इंगियमेव नचा, जो छन्दमाराहयइ स पुजो॥ 1 // यावारमट्ठा विणयं पउंजे, सुस्प्सू समाणो परिगिज्झ ववकं / जहोवइष्टुं अभिकंखमाणो, गुरुंतु नासाययई स पुज्जो // 2 // रायणिएसु विणयं पउंजे, डहरा वि य जे परियाय-जेट्ठा / नियत्तणे वट्टई सञ्चबाइ, योगय वककरे स पुज्जो // 3 // अन्नायउछं चरई विसुद्धं, जवणट्ठया समुयाणं च निच्चं / अलद्भुयं नो परिदेवएज्जा, लद्धन विकत्थइ स पुज्जो // 4 // संथार-सेज्जासण-भत्तपाणे, अपिच्छया अइलाभे वि सन्ते / जो एवमप्पाण-भितोसएजा, संतोस-पाहन्नरए स पुज्जो // 5 // सका सहेउं ग्रासाइ कंटया, अयोमया उच्छहया नरेणं अणासए जो उ सहेज कंटए, वइमए कराणसरे स पुज्जो // 6 // मुहुत्तदुक्खा उ हवन्ति कंटया,अश्रो मया ते वि तयो सु-उद्धरा / वायादुरुत्ताणि दुरुद्धराणि, वेराणुबन्धीणि महब्भयाणि // 7 // समावयन्ता वयणाभिघाया, करणंगया दुम्मणियं जणन्ति / धम्मो ति किचा परमग्गसूरे, जिइन्दिए जो सहई स पुज्जो // 8 // अवगणवायं च परम्मुहरस, पञ्चखयो पहिणीयं