________________ 3.] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः // त्रयोदशमो विभाग - विसं खायइ जीविट्ठी, एसोवमाप्तायणया गुरूणं // 6 ॥सिया हु से पावय नो डहेजा, पासीविसो वा कुवियो न भवखे / सिया विसं हालहलं न मारे, न यावि मोक्खो गुरु हीलणाए // 7 // जो पव्वयं सरिसा भेत्तु-मिच्छे, सुत्तं व सीहं पडिबोहएजा। जो वा दए सत्ति-अग्गे पहारं, एसोवमासायणया गुरूणं // 8 // सिया हु सीतेण गिरि पि भिन्दे, सिया हु सीहो कुवियो न भक्खे / सिया न भिन्दिज व सत्ति-अग्गं, न या वि मोक्खो गुरु हीलणाए // // पायरिय-पाया पुण अप्पसन्ना, अमोहि-यासायण नत्थि मुक्खो। तम्हा प्रणाबाह-सुहाभिकंखी, गुरुप्पसाया-भिमुहो रमेजा // 10 // जहाहिअग्गी जलणं नमसे, नाणाहुई-मन्त-पया-भिसित्तं / एवायरियं उवचिट्टएजा, अणन्त-नाणोवगयो वि सन्तो॥११॥ जस्सन्तिए धम्मपयाई सिक्खे, तस्सन्तिए वेणइयं पउंजे / सकारए सिरसा पंजलीयो, काय ग्गिरा भो मणसा य निच्चं // 12 // लजा-दया-संजम-बंभचेरं, कल्लाण-भागिरस विसोहि-ठाणं / जे मे गुरु सयय-मणुसासयन्ति, तेहं गुरु सययं पूययामि // 13 // जहा निसन्ते तवणचिमाली, पभासई केवल-भारहं तु। एवायरियो सुय सीलबुद्धिए, विरोयइ सुरमज्झे व इन्दो // 14 // जहा ससी कोमुई जोग-जुत्तो, नक्खत्त-तारागण-परिवूडप्पा / खे सोहइ विमले अब्भुमवके, एवं गणी सोहई भिक्खुमज्झे // 15 // महागारा पायरिया महेसी, समाहि-जोगे सुय-सीलबुद्धिए / सम्पाविउ-कामे अणुत्तराई, याराहए तोसइ धम्म-कामी // 16 // सुबाण मेहावि-सुभासियाई, सुस्सूसए यायारियप्पमत्तो / धाराहईत्ताण गुणे अणेगे, से पावइ सिद्धिमणुत्तरं // त्ति बेमि // 17 // ___ // इति नवमाध्ययने प्रथम उद्देशकः // 9 // // 6 // अथ नवमाध्ययने द्वितीयः उद्देशकः // मूलाउ बन्धपभयो दुमस्स, खन्धाउ पच्छा समुवेन्ति साहा / साहप्प. साहा विरहन्ति पत्ता, तयो से पुष्कं च फलं रसोय // 1 // ए धम्मस्स