________________ 28] [ श्रीमदागमसुधासिन्धुः त्रयोदशमो विभागा लोभं संतोसयो जिणे // 31 // कोहो अ माणो श्र अणिग्गहीश्रा, माया अ लोभो श्र पवढमाणा / चत्तारि एए कसिणा कसाया, सिंचन्ति मूलाई पुणभास्स // 40 // रायणिएसु विणयं पउंजे, धुवसीलयं सययं न हावईजा। कुम्मुन्ध अल्लीण-पलीण-गुत्तो, परकमिजा तव-संजमंमि // 41 // निदं च न बहु मनिजा, सप्पहासं विवजए। मिहो कहाहिं न रमे, सज्झायंमि रयो सया // 42 // जोगं च समणधम्ममि, जुजे अणलसो धुवं / जुतो असमणवम्नमि अट्ठ लहइ अणुत्तरं // 43 // ईहलोग-पारत्त हिग्रं, जेगां गछई सुग्गई। बहुस्सुयं पन्जुवासिन्जा, पुच्छिजत्थ विणिच्छयं // 44 // हत्थं पायं च कायं च, पणिहाय जिइंदिए। अल्लीण गुत्तो निरिए, सगासे गुरुणो मुणी // 45 // न पक्खयो न पुरो, नेव किच्चाण पिट्ठयो। न य उरुं समासिज, चिट्ठिजा गुरूगांतिए // 46 // अपुच्छियो न भासिजा, भासमाणस्स यंतरा / पिट्टिमंसं न खाइजा, मायामोसं विवजए // 47 // अप्पत्तियं जेण सिया, थासु कुपिज वा परो। सब्बसो.तं न भासिज्जा, भासं अहिग्रगामिणिं // 48 // दिट्ट मिश्रं असंदिद्धं, पडिपुन्नं वियं जियं / अयंपिर-मणुविग्गं, भासं निसिर अत्तवं // 4 // श्रायार-पन्नत्तिघरं, दिट्ठिवाय-महिजगं / वायविक्खलियं नचा, न तं उवहसे मुणी // 50 // नक्खत्तं सुमियां जोगं, निमित्तं मंत्त-भेसजं / गिहिणो तं न बाइक्खे, भूया. हिगरगां पयं // 51 // अन्नट्ठ पगडं लयगां, भइन्ज सयणासगां / उच्चारभूमिसंपन्नं, ईत्थी-पसु-विवन्जियं // 52 // विवित्ता अ भवे सिज्जा, नारीणां न लवे कहं / गिहि-संथवं न कुजा, कुन्जा साहूहि संथवं // 53 // जहा कुक्कुडपोअस्स, निच्चं कुललयो भयं / एवं खुबंभयारिस्स, ईत्थी विग्गहयो भयं // 54 // चित्तभित्तिं न निभाए, नारिं वा सु-अलंकियं / भवखरं पिव दछृणां दिट्टि पडिसमाहरे // 55 // हत्थ-पाय-पडिच्छिन्नं, कन्न नास-विगप्पियं / अवि वाससयं नारिं, बंभयारी विवजए / / 56 // विभूसा ईत्थि