________________ भीमदशकालिक-सूत्रम् / अध्ययनं 8 ] . [ 27 लविजोवघाइयं / न य केण उवाएणं, गिहिजोग समायरे // 21 // निट्ठाणं रसनिज्जूदं भदगं पावगंति वा / पुट्ठो वा वि अपुट्ठो वा, लाभालाभं न निदिसे // 22 // न य भोयगांमि गिद्धो, चरे उंछ अयंपिरो। अफासुग्रं न भुजिजा, कीय-मुद्दे सि-याहडं // 23 // संनिहिं च न कुविजा, अणुमायं पि संजए / मुहाजीबी असंबद्धे, हविज जगनिस्सिए // 24 // लूहवित्ती सुसं. तु?, अप्पिच्छे सुहरे सिया / बासुरत्तं न गच्छिज्जा, सुच्चागां जिण-सास // 25 // कनसुक्खेहिं सोहिं, पेमं नाभिनिवेसए / दारुगां ककसं फासं, कारण अहियासए // 26 // खुहं पिवासं दुस्तिज्जं, सी उराहं अरई भयं / अहियासे अवहियो, देहदुवखं महाफलं // 27 // अत्थंगयंमि बाईच्चे, पुरत्था अ णुग्गए। याहार-माईयं सव्वं, मणसा वि न पत्थए // 28 // अतितिणे अच.ले, अप्पभासी मियासणे / हविज उपरे दंते, थोवं, लद्ध न खिसए // 21 // न बाहिरं परिभवे, अत्ताणं न समुकसे / सुअलाभे न मजिजा, जच्चा तवस्सि-बुद्धिए // 30 // से जाणमजाणं वा, कटु श्राहम्मियं पयं / संवरे खिप्पमप्पाणां, बीयं तं न समायरे // 31 // अणायारं पर कम्मं, नेव गूहे न निह्नवे। सुई सया वियडभावे, असंसत्ते जिइंदिए // 32 // अमोहं वयणां कुजा, पायरियस्स महप्पणो / तं परिगिज्म वायाए, कम्मुणा उववायए // 33 // अधुवं जीवियं नचा, सिद्धिमग्गं विश्राणिया / विणिपट्टिज भोगेसु, ग्राउ परिमिग्रमप्पणो // 34 // बलं थामं च पेहाए, सद्धा-मारुग्ग-मप्पणो / खित्तं कालं च विनाय, तहप्पा निजुजए // 35 // जरा जाब न पीडेइ, वाही जाव न वडढइ / जाविंदिया न हायंति, ताव धम्म समायरे // 36 // कोहं मागणं च मयं त्र, लोभं च पाव-बड्डयां / वमे चत्तारि दोसे उ, ईच्छतो हिअमप्पणो // 37 // कोहो पीई पणासेइ, माणो विणय-नासणो। माया मित्ताणि नासेई, लोभो सव्व-विणासणो // 38 // उसमेण हणे कोहं मागां मद्दवया जिणे / मायं चजवभावेण,