________________ श्रीमदंशकालिक-सूत्रम् / अध्ययन 6 ] जाई बालोजरज्मइ / तत्य अन्नयरे ठाणे, निग्गंथताउ भस्सइ // 7 // वयक कायछक्कं, अकप्पो गिहिभायणं / पलियंक निसेज्जा य, सिणाणं सोहवजणं // 8 // तत्थिमं पढमं ठाणं, महावीरेण देसि / अहिंसा निउणा दिट्ठा, सबभएसु संजमो // 1 // जावंति लोए पाणा, तसा अदुव थावरा। ते जाणम जाणं वा, न हणे णोवि घायए // 10 // सव्वे जीवावि इच्छंति, जीवीउं न मरिजिउं / तम्हा पाणिवहं घोरं, निग्गंथा वजयंति णं // 11 // अप्पणट्ठा परट्ठा बा, कोहा वा जइ वा भया। हिंसगं न मुसं बूया, नोवि यन्नं वयावए // 12 // मुसावायो उ लोगम्मि, सब्यसाहूहिं गरिहियो / अविस्सायो य भृयाणं, तम्हा मोसं विवजर // 13 // चित्तमंतचित्तं वा, अप्पं वा जइ वा बहुँ / दंतसोहणमित्तंपि, उग्गहमि अजाइया // 14 // तं अप्पणा न गिराहंति, नोऽवि गिलावए परं / अन्नं वा गिलमाणंपि, नाणुजाणंति संजया // 15 // यवंभचरियं घोर, पमायं दुरहिट्टियं नायरंति मुणी लोए, भेयाययणवणिजो॥ 16 // मूनमेयमहम्मस्त, महादोससमुस्सयं / तम्हा मेहुणसंसग्गं निग्गंथा वजयंति णं // 17 // विडमुठभेइमं लोणं, तिल्लं सप्पिं च फाणियं / न ते संनिहिमिच्छति, नायपुत्तायोरया // 18 // लोहस्सेस अणुःकासे, मन्ने यनयरामवि / जे सिया सन्निहिं कामे, गिही पाइए न से // 11 // जंपि वत्थं व पायं वा, कंवलं पायपुंछणं / तंपि संजमलजट्टा, धारंति परिहरंति थ // 20 // न सो परिग्गहो वुत्तो, नायपुत्तेण ताइणा / मुच्छा परिग्गहो वुत्तो. इय वुत्तं महेसिणा // 21 // सनत्थुवहिणा बुद्धा संरक्खापरिग्गहे / अवि अपणोऽवि देहं मि, नायरंति ममाइयं // 22 // ग्रहो निच्चं तवो कम्मं, सबबुद्धेहिं वरिणयं / जा य लजासमावित्ती, एगभत्तं च भोयणं // 23 // संतिमे सुहमा पाणा, तसा अदुव थावरा / जाइं रायो अपासंतो, कहमेसणीयं चरे ? // 24 // उदउल्लं बीअसंसत्तं पाणा निवडिया महिं / दिया ताई विवजिजा, रायो तत्थ कहं चरे ?